रिपोर्ट: आदित्य तिवारी
भोपाल. तुलसी की बढ़ती मांग देखते हुए अब मध्यप्रदेश सरकार भोपाल में तुलसी वन बनाने जा रही है. सामाजिक वानिकी विभाग के अनुसंधान एवं विस्तार शाखा के एपीसीसीएफ एचसी गुप्ता ने बताया भोपाल में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में अहमदपुर नर्सरी में तुलसी वन बनाया जाएगा. उसके बाद स्टेट तुलसी वन बनाया जाएगा. असल में तुलसी का उपयोग आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति में काफी होता है. कोरोना काल में भी लोगों ने इसका खूब काढ़ा पिया ताकि इम्युनिटी अच्छी रहे. इसके चलते तुलसी पत्ती की मांग बेहद बढ़ी हुई है.
तुलसी वन में राम और श्याम तुलसी के अलावा विमला, सौंफ, अफ्रीकन, अमेरिकन सहित 67 प्रजाति की तुलसी लगाई जाएगी. तुलसी का पौधा धार्मिक महत्व का तो है ही, स्वास्थ्य के लिए भी काफी अहम है. सेहत दुरुस्त करने वाली प्रमुख देसी औषधि होने की वजह से इसे ‘जड़ी-बूटियों की रानी’ के रूप में भी जाना जाता है.
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देश में 67 प्रजाति की पाई जाती है तुलसी
विंध्य हर्बल बरखेड़ा पठानी के क्वालिटी कंट्रोल वैद्य संजय ने बताया तुलसी का वैज्ञानिक नाम ओसीमम सेक्टम है. देश के अलग-अलग राज्यों में 67 प्रजाति की तुलसी पाई जाती है, जो अलग अलग क्लाइमेट में दिखती है. वहीं, अनुसंधान एवं विस्तार एपीसीसीएफ एचसी गुप्ता ने बताया अनुसंधान और विस्तार विभाग में कई तरह के प्रोजेक्ट शुरू हो रहे हैं. इनमें तुलसी वन भी है. इस प्रोजेक्ट के तहत बॉटनी के स्टूडेंट इस पर रिसर्च भी कर सकेंगे.
तुलसी पर 2 बार हुई अहम रिसर्च
तुलसी के पौधे पर अब तक दो महत्वपूर्ण शोधों में से पहला पटना विश्वविद्यालय में हुआ. बायोटेक्नोलॉजी विभाग के समन्वयक प्रो. वीरेंद्र प्रसाद ने इंसान के जीन से 70% तक मेल खाने वाले जीव सी-इलेगेंस पर पीयू में रिसर्च की. इस वर्म की उम्र 15 दिन होती है, लेकिन रिसर्च के दौरान जब तुलसी का प्रयोग किया गया तो इसकी उम्र बढ़कर 23 दिन हो गई. तुलसी पर दूसरी रिसर्च उत्तरप्रदेश के मेरठ स्थित चौधरी चरण सिंह विवि में हुई. इस रिसर्च में तुलसी के रासायनिक संगठन के बारे में पता लगाया गया.
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Tags: Bhopal news, Medicinal Farming
FIRST PUBLISHED : January 06, 2023, 08:52 IST