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Bihar Assembly Election 2025: राजद (RJD) के बिहार प्रदेश अध्यक्ष पद को लेकर तस्वीर अब लगभग साफ हो चुकी है. पार्टी के अंदरूनी सूत्रों की मानें तो मंगनी लाल मंडल को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का फैसला ले लिया गया है, अब केवल औपचारिक घोषणा 19 जून को की जानी है. नवंबर 2019 से पार्टी की कमान संभाल रहे वरिष्ठ नेता जगदानंद सिंह की जगह अब मंगनी लाल मंडल लेंगे.
राज्यसभा सांसद भी रह चुके हैं मंडल
मंगनी लाल मंडल मिथिलांचल के प्रभावशाली नेता माने जाते हैं. वे झंझारपुर से विधायक और सांसद रह चुके हैं. इसके साथ ही राज्यसभा सांसद और कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं. उनके प्रभाव वाले जिले यानी कि मधुबनी, दरभंगा, समस्तीपुर और मुजफ्फरपुर ऐसे क्षेत्र हैं, जहां 2020 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का प्रदर्शन काफी कमजोर रहा था. RJD अब इन इलाकों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.
कभी थे नीतीश के करीबी
बता दें कि धानुक समाज से आने वाले मंगनी लाल RJD में लालू यादव और तेजस्वी यादव दोनों की पसंद रहे हैं. मंगनी लाल 2019 में राजद छोड़कर जदयू में चले गए थे. लेकिन, 17 जनवरी 2025 को उन्होंने सीएम नीतीश कुमार की पार्टी को अलविदा कह दिया और फिर से राजद का दामन थाम लिया. तब तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर उन्हें राजद की सदस्यता दिलाने वाली तस्वीर शेयर करते हुए लिखा था कि जदयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, प्रदेश के वरीय समाजवादी नेता मंगनी लाल मंडल जी की पुन: घर वापसी पर राजद की सदस्यता दिलाई. उनका तहेदिल से राजद परिवार में स्वागत करते हैं.
इसलिए आरजेडी ने किया चुनाव
मिथिलांचल में 60 विधानसभा सीटें हैं, जो बिहार विधानसभा की कुल सीटों का करीब 25 प्रतिशत हिस्सा है. पहले यह इलाका RJD का गढ़ माना जाता था लेकिन नीतीश कुमार के उदय के बाद यह जदयू-बीजेपी के पक्ष में चला गया. RJD अब ईबीसी (अति पिछड़ा वर्ग) वोट बैंक को साधने की कोशिश में मंगनी लाल मंडल को सामने ला रही है, जो इस वर्ग से आने वाले पहले प्रदेश अध्यक्ष होंगे.
#WATCH | Patna, Bihar | On Mangani Lal Mandal appointed as the new Bihar RJD President, RJD leader Tejashwi Yadav says, “He is an experienced politician… He raised the voices of the people… He has worked with our father for many years. He has played a big role in taking… pic.twitter.com/BvO6CSYTqN
— ANI (@ANI) June 14, 2025
हालांकि, मंगनी लाल की नियुक्ति को लेकर पार्टी में कुछ असंतोष भी देखने को मिल रहा है. आलोचकों का कहना है कि उनकी उम्र और पार्टी के प्रति पिछली वफादारी पर सवाल उठते रहे हैं. ऐसे में तेजस्वी यादव का युवा नेतृत्व का संदेश कमजोर पड़ सकता है. साथ ही जातीय संतुलन को लेकर भी पार्टी के भीतर चिंता जताई जा रही है.
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