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पटना के सीनियर एसपी अवकाश कुमार को छह महीने में ही क्यों बदल दिया गया? क्या अवकाश कुमार डीजीपी विनय कुमार के कसौटी पर खड़े नहीं उतर पाए? या फिर उन्हें ‘बलि का बकरा’ बना दिया गया?

क्यों हटाए गए पटना के एसएसपी अवकाश कुमार?
हाइलाइट्स
- अवकाश कुमार की गिनती बिहार के तेज-तर्रार पुलिस अफसरों में होती है.
- कई जिलों में एसपी और एसएसपी के तौर पर काम करने का अच्छा अनुभव.
- छह महीने में ही अवकाश कुमार को पटना से क्यों हटा दिया गया?
IPS Awkash kumar News: बिहार में बढ़ते अपराध को लेकर पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. चुनावी साल में नीतीश सरकार ने बीते शनिवार को 18 आईपीएस अधिकारियों का तबादला कर दिया. खास बात यह है कि छह महीने पहले ही पटना के एसएसपी बनाए गए अवकाश कुमार को भी हटा दिया गया. अवकाश कुमार की जगह सीनियर IPS अधिकारी कार्तिकेय शर्मा को पटना में बिगड़ती कानून व्यवस्था सुधारने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि अवकाश कुमार को छह महीने में ही क्यों हटा दिया गया? क्या अवकाश कुमार डीजीपी विनय कुमार की कसौटी पर खरे नहीं उतरे? या फिर इसके कुछ और कारण हैं? क्योंकि राजधानी में न केवल डीजीपी बैठते हैं बल्कि बिहार पुलिस के कई सीनियर आईपीएस अधिकारी भी बैठत हैं. ऐसे में केवल अवकाश कुमार पर गाज गिरना क्या संकेत दे रहा है?
अवकाश कुमार क्यों हटाए गए?
अवकाश कुमार 2012 बैच के बिहार कैडर के तेज तर्रार आईपीएस अधिकारी हैं. गया (ग्रामीण एसपी) के रूप में इनके काम का काफी चर्चा होती है. रॉकी हत्याकांड में चर्चित अपराधी रॉकी यादव को उम्रभर की सजा दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. आरा में एसपी रहते हुए भी कानून-व्यवस्था बनाए रखने में सक्रिय भूमिका निभाई. बेगूसराय में एसपी रहते हुए तीन कुख्यात अपराधियों का एनकाउंटर किया था. दरभंगा में एसएसपी रहते उन्होंने अपराध नियंत्रण और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई पहल कीं.
अवकाश कुमार की गिनती बिहार के तेज-तर्रार पुलिस अफसरों में होती है. दिसंबर 2024 में, जब उन्हें पटना का एसएसपी नियुक्त किया गया, तब शहर अपराध की लहर से जूझ रहा था. बिहार के नए डीजीपी विनय कुमार ने उनकी साफ सुथरी छवि को देखते हुए दरभंगा से पटना का एसएसपी बनाया था. तब पटना में चेन स्नैचिंग, हत्या, और दिनदहाड़े गोलीबारी की घटनाएं आम हो चली थीं. गृह विभाग ने अवकाश कुमार पर भरोसा जताया, यह उम्मीद करते हुए कि उनकी रणनीति और अनुशासित कार्यशैली से पटना की सड़कों पर अमन-चैन लौटेगा.
अवकाश कुमार पर ही क्यों गिरा गाज?
अवकाश ने अपनी जिम्मेदारी संभालते ही ताबड़तोड़ कार्रवाई शुरू की. दानापुर में आरजेडी विधायक पर एक्शन लिया. बड़े पैमाने पर पुलिस अधिकारियों और थानेदारों के तबादले किए, ताकि थानों की कार्यशैली में सुधार आए. मार्च 2025 में 44 पुलिस अधिकारियों, जिनमें 25 थानेदार शामिल थे, का तबादला किया गया. जून में भी 14 इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारियों को इधर-उधर किया गया, जिसमें बुद्धा कॉलोनी, पाटलिपुत्र, और खगौल जैसे प्रमुख थानों के प्रभारी बदले गए. उनकी यह रणनीति थी कि लापरवाह अधिकारियों को हटाकर नई ऊर्जा और जवाबदेही लाई जाए.
ऐसे में पुलिस महकमे में चर्चा हो रही है कि क्या अवकाश कुमार को बली का बकरा बनाया गया? या फिर कुछ बड़े अधिकारियों पर भी चुनावी साल में गाज गिर सकता ही? कुछ का मानना है कि उनके छह महीने से कम के कार्यकाल में इतने बड़े बदलाव की उम्मीद करना अवास्तविक था. पटना जैसे जटिल शहर में अपराध की जड़ें गहरी हैं और इसे एक अधिकारी के कंधों पर डालना उचित नहीं. दूसरी ओर, उनके समर्थक कहते हैं कि उनकी सख्ती और तबादलों की रणनीति सही दिशा में थी, लेकिन समय की कमी ने उन्हें पूरा मौका नहीं दिया.
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