भारतीय जनता पार्टी 2024 लोकसभा चुनाव के लिए तैयार है। कहा जा रहा है कि पार्टी के एजेंडा में खासतौर से हाशिए पर मौजूद लोगों तक पहुंचने का होगा। कहा जा रहा है कि उन्होंने भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पसमांदा मुसलमान, बोहरा समेत कई समुदायों से मुलाकात करने के लिए कार्यकर्ताओं को निर्देश दिए हैं। लोकसभा से पहले 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने हैं।
भाजपा की बैठक के दौरान पीएम ने संबोधन दिया, ‘हमारा अभियान सभी समुदायों में सबसे ज्यादा हाशिए पर मौजूद लोगों तक पहुंचने के लिए तैयार किया जाना चाहिे। हमें यह केवल वोट के लिए नहीं करना चाहिए। हमें उनके साथ मजबूत पुल इसलिए बनाना होगा, क्योंकि वे हाशिए पर हैं और सभी समुदायों में गरीब हैं।’
एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा गया कि पीएम ने भाजपा कार्यकर्ताओं से पसमांदा मुलमान, बोहरा, मुस्लिम पेशेवर और शिक्षित मुस्लिम तक पहुंच बढ़ाने के लिए कहा है। हालांकि, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इससे इनकार कर रहे हैं। उन्होंने बताया, ‘पीएम ने किसी का खासतौर से नाम नहीं लिया है, लेकिन सभी वर्गों में हाशिए पर मौजूद लोगों की बात कही है। इसलिए वे भी इसमें शामिल हैं।’
अन्य समुदायों का भी जिक्र
पीएम ने कहा कि राम मंदिर निर्माण का उद्देश्य पूरा हो गया, जो अच्छा है, लेकिन हमें यह भी मंथन करना होगा कि हमने अपने इलाकों में संत रविदास और महर्षि वाल्मीकि के मंदिर बनाए हैं या नहीं।
कौन हैं पसमांदा मुसलमान?
मुस्लिम समुदाय में पसमांदा पिछड़े हुए माने जाते हैं। कहा जाता है कि साल 1998 में जब अली अनवर अंसारी ने पसमांदा मुस्लिम महाज की स्थापना की थी, तब पहली बार पसमांदा मुसलमान शब्द का इस्तेमाल किया गया था। हालांकि, अब तक भारत में इनकी कुल संख्या साफ नहीं है, लेकिन माना जाता है कि भारतीय मुस्लिम आबादी के 80-85 फीसदी पसमांदा हैं।
पसमांदा मुसलमानों की क्या हैं मांगें
पसमांदा कार्यकर्ताओं का मानना है कि बहुसंख्यक मुस्लिम होने के बाद भी नौकरियों समेत कई सेक्टर्स में पर्याप्त प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। पसमांदा मुसलमान जातिगत जनगणना, मौजूदा आरक्षण का पुनर्गठन, कारिगरों, शिल्पकारों के लिए सरकार से समर्थन चाहते हैं।
भाजपा क्यों पसमांदा मुसलमानों की ओर देख रही है?
कहा जाता है कि भाजपा उत्तर प्रदेश और बिहार में अपना वोटर बेस बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जो 2024 चुनाव के लिए जरूरी हैं। इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अजीज प्रेमजी यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर खालिद अनीस अंसारी कहते हैं, ‘हालांकि, पार्टी पसमांदा मुसलमानों के साथ 2014 से सक्रिय रूप से काम कर रही है…।’
पीएम पहले भी कर चुके हैं जिक्र
बीते साल हैदराबाद में हुई भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में भी पीएम मोदी ने हिंदुओं के अलावा भी अन्य वर्गों में वंचितों तक पहुंचने की बात कही थी। उनकी इस बात को यूपी और बिहार में पसमांदा मुसलमानों जैसे समूहों से जोड़कर देखा गया था।