Thursday, December 19, 2024
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Book Review: ‘इकिगाई’ में छिपा है जापानी लोगों के खुशी जीवन का राज!


Book Review: अगर आप अपने हर दिन को एक अर्थ और नए आनंद के साथ जीना चाहते हैं तो इकिगाई नाम की यह पुस्तक निश्चित रूप से आपके लिए ही है. हम घड़ी के अलार्म की आवाज पर सुबह बिस्तर से उठते जरूर हैं, लेकिन अगर आपको किसी अपने से मिलना है, या कोई इंटरव्यू देना है, सैर-सापेट पर जाना है तो ये बातें हमें आनंद और उत्साह के साथ जागने और आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करती हैं.

इकिगाई शब्द ‘इकि’ (iki) यानी जीवन और ‘गाई’ (gai) यानी महत्त्व से मिलकर बनता है. इस प्रकार, इसकी व्याख्या आपके जीवन में उन आदर्शों के रूप में की जा सकती है, जो उसे सार्थकता प्रदान करते हैं. कुछ जगहों पर’गाई’ (gai) एक शब्द ‘काई’ (kai) से आता है जिसका अर्थ ‘सीप’ (शैल) है, जिन्हें एक समय में बेहद कीमती वस्तु माना जाता था. हियान काल से ही इकिगाई शब्द की उत्पत्ति हुई है, जिसका अर्थ है ‘जीवन की सार्थकता’ या ‘ज़िंदगी में निहित आदर्श’.

जापानियों के लिए इकिगाई का महत्व
इकिगाई एक पारंपरिक जापानी अवधारणा है जो जीवन जीने में खुशी को शामिल करती है. वास्तव में, यही वो वजह है जिसके कारण आप सुबह उत्साह से जागते हैं. यह पुस्तक आपकी इकिगाई को खोजने – आपके उद्देश्य या जुनून को पहचानने और इस ज्ञान का उपयोग करके अपने जीवन में अपार खुशी हासिल करने के बारे में है. यह जरूरी नहीं है कि आपकी इकिगाई कोई बड़ी महत्वाकांक्षा या जीवन का कोई अति महान उद्देश्य हो – यह कुछ सरल और सादगी भरा हो सकता है. जैसे- अपने बगीचे की देखभाल करना या अपने श्वान को घुमाना.

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जापान में पली-बढ़ी होने के कारण, युकारी मित्सुहाशी स्वयं ही इस बात को समझती हैं कि जापानी लोगों के लिए इकिगाई का क्या मतलब है. अब लॉस एंजेलिस में रहते हुए, उन्होंने इस पारंपरिक अवधारणा को नए श्रोताओं से परिचित कराने के लिए इस पुस्तक को लिखा है. यह पुस्तक हर स्थिति-परिस्थिति का एकमात्र समाधान नहीं है. इसके बजाय, इकिगाई आपको अपने जीवन की हर छोटी बात पर ध्यान देने और रोजमर्रा के क्षणों का महत्व समझने के लिए प्रोत्साहित करती है क्योंकि आप अपनी खुद की इकिगाई को पहचानना सीख रहे होते हैं. इस पुस्तक में एथलीटों से लेकर लेखकों और व्यवसायियों तक अपनी इकिगाई को साझा करने वाले विभिन्न व्यक्तियों के केस अध्ययन शामिल हैं. अपने आश्चर्यजनक रूप से सरल दर्शन और मुक्तिदायक अवधारणाओं के साथ, यह खूबसूरती से प्रस्तुत पुस्तक एक मार्गदर्शक होगी जिसे आप बार-बार पढ़ना चाहेंगे.

हर पल का आनंद लें
पिछले कुछ वर्षों में वैश्विक स्तर पर ‘जागरूकता’ या ‘वर्तमान में जीने’ पर अधिक ध्यान दिया जा रहा है. लोकप्रिय ब्लॉग, बेस्ट सेलिंग पुस्तक तथा वैलनैस विशेषज्ञ सभी इससे होने वाले फायदों पर जोर देते हैं. हम में से बहुतों के लिए, ख़ासकर जब हम छोटे होते हैं, जीवन खोजबीन करने के लिए इतना कुछ सामने रखता हुआ-सा लगता है कि शांत बैठना मुश्किल हो सकता है. हम टूना मछली की तरह जीते हैं- मानो अगर हमने हिलना-डुलना बंद कर दिया तो मर ही जाएंगे. यद्यपि जापानी लोग इस आदत के लिए अपवाद नहीं हैं. बहुत से व्यक्ति खुद को व्यस्त रखना पसंद करते हैं और एक काम के बाद हमेशा अगले की तलाश में रहते हैं. हम हर चीज पर बारीकी से ध्यान देने के लिए जाने जाते हैं. यह हमें अपने परिवेश के प्रति ज़्यादा जागरूक बनाकर प्रत्येक क्षण का आनंद लेने में सहायक होता है और इकिगाई हर एक क्षण पर ध्यान केंद्रित करने के बारे में है.

हर दिन और समय का अलग महत्व
वर्तमान क्षण के प्रति ध्यान एवं महत्व देना जापानी सभ्यता में कई रूपों में पाया जाता है। उदाहरण के तौर पर, इस बात को लें कि जापानी भाषा समय को किस प्रकार व्यक्त करती है। अंग्रेज़ी भाषा में जब भविष्य में आने वाले दिनों के बारे में बात करते हैं तब हम शब्द ‘टूमारो’ (tomorrow) का प्रयोग करते हैं या ‘द डे आफ्टर टूमारो’ (the day after tomorrow) या ‘टू डेज़ फ्रॉम नॉ’ (two days from now) के रूप में बात करते हैं, परंतु जापानी भाषा में हर दिन के लिए एक अलग शब्द मौजूद है जैसे असित (ashita) (आने वाला कल), असात्ते (asatte) (कल के बाद आने वाला दिन) और शियासात्ते (shiasatte) (अब से दो दिन बाद आने वाला दिन) एवं महीने का आरंभिक भाग गीशो (geesho), मध्य भाग चुजीयून (chūjyun) तथा अंतिम भाग गेत्सुमत्सु (getsumatsu) कहलाता है. अलग-अलग समय के संदर्भ में विशिष्ट शब्दों के होने से प्रत्येक समय को उसका अलग महत्व दिया जाता है.

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इकिगाई कहता है
इकिगाई में सुखी और स्वस्थ्य जीवन का राज छिपा है. इकिगाई कहता है- हमेशा सक्रिय रहें, कभी रिटायर न हों. कभी रुको नहीं, भले ही धीरे-धीरे चलते रहो. हमेशा अच्छे दोस्तों से घिरे रहो और हर परिस्थिति में मु्स्कुराते रहो. कुदरत के साथ रिश्ता बनाएं रखें. पेड़-पौधों, फल-फूलों और नदि-तालाब, झरनों से संवाद करें. हर चीज का धन्यवाद दे रहें, भले ही वो कोई इंसान हो या फिर वस्तु. भविष्य की चिंता छोड़ वर्तमान में रहें.

लेखिका युकारी मित्सुहाशी
इस पुस्तक की रचनाकार युकारी लॉस एंजिल्स में रहने वाली एक स्वतंत्र पत्रकार एवं लेखिका हैं. वह टोक्यो में पली-बढ़ीं और अपने परिवार के साथ न्यूयॉर्क जाने से पहले उन्होंने अपना अधिकांश बचपन जापान में बिताया. वर्ष 2004 में, कीयो विश्वविद्यालय से स्नातक करने के बाद उन्होंने स्वतंत्र रूप से अनुवादक और लेखक के तौर पर कार्य करना आरंभ किया. उसी समय, उन्होंने TechDoll.jp नाम से अपना एक ब्लॉग बनाया. जबकि उनका अधिकांश लेखन जापानी भाषा में है, उनका कार्य बीबीसी वर्ल्ड वेबसाइट www.techdoll.jp@yukari77 (ट्विटर और इंस्टाग्राम) पर भी प्रदर्शित किया गया है.

पुस्तक: इकिगाई
लेखक: युकारी मित्सुहाशी
अनुवादकः राजेश अग्रवाल
प्रकाशक: पेंगुइन स्वदेश
मूल्यः 199 रुपये

Tags: Books, Hindi Literature



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