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18 महीने का एनआईओएस डीएलएड कोर्स करने वाले अभ्यर्थियों का दूसरे चरण की बीपीएससी शिक्षक भर्ती में क्या होगा, इस पर संशय बना हुआ है। पहले चरण की शिक्षक भर्ती में चयनित टीचर भी डरे हुए हैं। उधर, 18 माह के डीएलएड करने वाले को नियुक्ति पत्र पर केंद्रीय विद्यालय संगठन ने रोक लगा दी है। केंद्रीय विद्यालय संगठन ने सुप्रीम कोर्ट का आदेश आने के बाद लिया है। केंद्रीय विद्यालय संगठन द्वारा बिहार के 53 केंद्रीय विद्यालय में 97 प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्ति होनी है। केंद्रीय विद्यालय शिक्षक भर्ती में इस तरह का निर्णय आने के बाद पहले चरण में चयनितों और दूसरे चरण में आवेदन करना चाह रहे शिक्षकों के बीच खलबली मची हुई है। प्राइमरी लेवल के सरकारी स्कूलों में टीचर की नौकरी पाने का सपना देख रहे उम्मीदवारों की चिंता काफी बढ़ गई है।
हालांकि अभी तक बिहार लोक सेवा आयोग ने पीआरटी भर्ती में एनआईओएस डीएलएड की पात्रता से संबंधित कोई नया नोटिस जारी नहीं किया है। कुछ एक्सपर्ट बताते हैं कि जो शिक्षक बहाल हो चुके हैं उनको सुप्रीम कोर्ट जाने की आवश्यकता नहीं है। जिनकी बहाली नहीं हुई है वो एनसीटीई पर दवाब बनाएं कि एनआईओएस डीएलएड के लिए गजट नोटिफिकेशन जारी करें।
वहीं बहुत से अभ्यर्थी बीपीएससी शिक्षक भर्ती (पहला चरण) में चयनित एनआईओएस डीएलएड डिप्लोमा धारी शिक्षकों को हटाने के लिए गुरुवार को आग्रह करने विभाग पहुंचे। उन्होंने इस बाबत सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए एक प्रार्थना पत्र भी सौंपा।
जारी होने वाले हैं बिहार शिक्षक भर्ती परीक्षा के एडमिट कार्ड
नियुक्त शिक्षकों में बेचैनी बढ़ी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पहले से इस डिग्री पर नियुक्त शिक्षकों में बेचैनी बढ़ गई। ऐसे शिक्षकों का क्या होगा, यह जानने को लेकर शिक्षक गुरुवार को शिक्षा विभाग के अलग-अलग कार्यालय में चक्कर काटते रहे। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि अभी पहले से नियुक्त शिक्षकों पर विभाग का कोई निर्देश नहीं आया है। बीपीएएसी से नवनियुक्त शिक्षकों में ऐसे शिक्षकों की संख्या प्राइमरी में काफी हैं, जो 18 महीने के डीएलएड पर नियुक्त हुए हैं। इनमें सरकारी नियोजित शिक्षकों के साथ ही प्राइवेट स्कूल के शिक्षक भी हैं, जो इसी डिग्री के आधार पर परीक्षा में बैठे थे।
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