Friday, July 5, 2024
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BSSC CGL : प्रश्न पत्र के कोडिंग सिस्टम से खुला पेपर लीक का राज, बना सबसे बड़ा कारगर हथियार


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BSSC CGL : आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग की स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रवेश परीक्षा के दौरान लीक हुए प्रश्न-पत्र मामले का खुलासा एक दिन में ही कर दिया। इसके मुख्य आरोपी अजय कुमार को दबोच लिया। इतने कम समय में प्रश्न-पत्र लीक होने से संबंधित सटीक जानकारी जुटाने में सबसे कारगर हथियार साबित हुआ कर्मचारी चयन आयोग का एडवांस कोडिंग सिस्टम। इस बार सभी प्रश्न-पत्रों की कोडिंग इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम से कुछ खास तरीके से की गयी थी। इससे जब प्रश्न-पत्र व्हाट्स एप पर सामने आया, तो बीएसएससी के अधिकारियों ने एक घंटे में पता कर लिया कि इस प्रश्न-पत्र को किस शहर के किस सेंटर से बांटा गया था। 

थोड़ी तफ्तीश करने पर यहां तक जानकारी हो गयी है कि मोतिहारी स्थित परीक्षा केंद्र शांति निकेतन जुबली स्कूल के कमरा नंबर 42 में इस प्रश्न-पत्र का वितरण किया गया था। मास्टरमाइंड अजय कुमार के पिता अशोक कुमार बेतिया थाने में दारोगा हैं। परीक्षा शुरू होने के 10 मिनट पहले वह परीक्षा केंद्र पहुंचा और हड़बड़ी का बहाना बना चकमा देकर मोबाइल के साथ अंदर चला गया।

तृतीय स्नातक स्तरीय परीक्षा प्रश्नपत्र का फोटो लेकर वायरल करती परीक्षार्थी धराई

सभी सॉल्वर अब तक फरार मामले की जांच कर रही आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) की विशेष टीम ने अजय कुमार से गहन पूछताछ की, जिसके बाद कई बातें सामने आयी हैं। अजय सिर्फ खुद को पास कराने के लिए प्रश्न-पत्र को वायरल किया था। इसका किसी गैंग या अन्य स्थानों से चोरी करते पकड़े गये अभ्यर्थियों से अब तक कोई सीधा कनेक्शन नहीं मिला है। हालांकि इससे जुड़े सभी मामलों की जांच अभी जारी है। इसके बाद ही पूरा मामला स्पष्ट हो पायेगा। फिलहाल प्रश्न-पत्र सॉल्व करने वाले सभी लोग फरार हैं और इनकी तलाश तेजी से चल रही है। इसे लेकर दूसरे दिन भी कई स्थानों पर छापेमारी की गयी। 

अजय ने नहीं, सॉल्वर ने वायरल किया प्रश्न पत्र

जांच में यह भी पता चला कि अजय ने भाई विजय के अलावा अन्य किसी को प्रश्न-पत्र नहीं भेजा था। विजय ने भी सिर्फ सॉल्वरों को ही इसे भेजा था। इन दोनों ने किसी गैंग को इसे सप्लाई नहीं किया था, लेकिन इनके सॉल्वरों ने ही कुछ व्हाट्स-एप ग्रुप में इसे ट्रांसफर किया था। यहीं से यह वायरल हुआ। विजय परीक्षा नहीं दे रहा था, लेकिन अपने परीक्षार्थी भाई अजय को पास कराने के लिए बाहर से सेटिंग करने में जुटा हुआ था।

मोबाइल बना फांस, सरगना तक पहुंची जांच एजेंसी

ईओयू की एडवांस तकनीकी टीम यह भी पता लगाने में कामयाब रही कि परीक्षा के समय इस केंद्र में कितने मोबाइल नंबर उपयोग हो रहे थे। करीब 70 नंबर सामने आये। इसके बाद यह पता किया गया कि इसमें वीक्षक, मजिस्ट्रेट, पुलिस कर्मी समेत परीक्षा कार्य में तैनात अन्य कर्मियों को छोड़कर किन-किन लोगों के मोबाइल नंबर हैं। इसी जांच में कमरा नंबर 42 में एक परीक्षार्थी के पास मोबाइल होने की बात सामने आयी। इसके बाद अन्य स्तर पर की गयी तहकीकात में अजय के पास से ही प्रश्न-पत्र लीक होने की बात की पुष्टि हुई। एडवांस तकनीक प्रणाली की बदौलत ही सरगना को पकड़ने में सफलता मिली।



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