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अमेरिका में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर संगमनगरी के युवा ने महज 22 वर्ष की उम्र में स्टार्टअप शुरू किया। आठ साल में सालाना कारोबार करोड़ों में पहुंच चुका है। लीक से हटकर काम करने के कारण रिश्तेदारों की बेरुखी भी झेलनी पड़ी लेकिन बारा के नौजवान मनीष शुक्ला ने अपने जुनून से असंभव को भी संभव कर दिखाया है। यमुनापार के बारा में दगवा जारी निवासी मनीष शुक्ला ने 2012 में एक निजी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीटेक ( BTech ) किया। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण पिता रविशंकर शुक्ला ने ट्रक ड्राइवरी कर बेटे की पढ़ाई का खर्च उठाया। कॉलेज प्रबंधन ने भी आर्थिक सहयोग किया। पढ़ाई पूरी करने के बाद मनीष की अमेरिका में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी लग गई।
तीन साल तक विदेश में काम करने के बावजूद संतुष्टि नहीं मिली तो वह सबकुछ छोड़कर प्रयागराज आ गए और वाशिंग-24 नाम से लांड्री का स्टार्टअप शुरू किया। दिन-रात मेहनत करके कारोबार खड़ा किया। पहले अस्पतालों, शैक्षणिक संस्थानों में काम किया। कोविड के दौरान बड़े पैमाने पर अस्पतालों से जुड़कर काम करने का अवसर मिला। हाल ही में रेलवे का बड़ा टेंडर भी मिला है। बकौल मनीष-अमेरिका में नौकरी से संतुष्ट नहीं था। मेरे दादा चन्द्रमा प्रसाद शुक्ल का भी सपना था कि मैं व्यापार करूं। आठ साल पहले काम शुरू किया तो सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय में अधिकारी डॉ. विभा मिश्रा ने बहुत सहयोग किया। मुझे जो भी सफलता मिली उसमें डॉ. विभा का बहुत बड़ा योगदान है।’
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500 लोगों को दिया काम
मनीष ने प्रयागराज के अलावा लखनऊ, कानपुर, वाराणसी और मिर्जापुर में भी शाखाएं खोल दी हैं। प्रयागराज के नैनी में बड़ा प्लांट लगाया है। वर्तमान में प्रयागराज समेत पांचों शहरों में 500 लोगों को रोजगार दिया है। इसके अलावा दर्जनों को अप्रत्यक्ष रूप से भी काम दिया है। मनीष के बड़े भाई अरुण भी उनके साथ ही कारोबार देख रहे हैं।
स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम एमएसएमई के चेयरनमैन डॉ. विभा मिश्रा ने कहा, ‘आठ साल पहले मनीष शुक्ला जब मेरे पास आया तो 22 साल के युवा की आंखों में कुछ करने का सपना देखा। मैंने अपने स्तर से पूरा सहयोग देने की कोशिश की। आज मनीष को सफलता की सीढ़ियां चढ़ते देखकर मुझे भी खुशी मिलती है।’
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