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डिग्री कॉलेजों में पढ़ने वाले छात्रों में नई शिक्षा नीति (एनईपी) को लेकर भ्रम की स्थिति है। छात्रों का आरोप है कि सेमेस्टर परिणामों में सभी विषयों में अनिवार्य अंक लाने के बाद भी फेल कर दिया गया है। शिक्षकों का कहना है कि छात्र एनईपी के नियमों में उलझ गए हैं। सभी विषयों के इंटरनल और एक्सटर्नल में पास होना जरूरी है। चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय ने सेमेस्टर परिणाम जारी कर दिए हैं। इसको लेकर छात्रों में भ्रम की स्थिति है। छात्रों का आरोप है कि तकनीकी गड़बड़ी से पास होने के बाद भी उन्हें फेल कर दिया है।
एमएमएच कॉलेज में ऐसी शिकायत लेकर पहुंचे छात्र देवेंद्र ने बताया कि तीसरे सेमेस्टर के परिणाम में उन्हें सभी विषयों में 40 से अधिक नंबर मिले हैं, बावजूद इसके फेल कर दिया गया। वहीं, शिक्षक कुमेदेश सिंह ने बताया कि छात्र नई शिक्षा नीति (एनईपी) को समझ नहीं पा रहे हैं। असल में नई शिक्षा नीति के तहत हर विषय में इंटरनल और एक्सचर्नल अंक तय किए गए, जिन्हें पूरा करने पर ही छात्र पास होंगे।
उन्होंने बताया कि को-करिकुलर एक्टिविटी की एक्सटर्नल परीक्षा में 30 अंक समेत कुल 40 नंबर जरूरी हैं, लेकिन छात्र के एक्सटर्नल परीक्षा में 29 और इंटर्नल में 23 अंक हैं, इसलिए वह फेल है। ऐसी शिकायतें कई और छात्रों की भी हैं। एमएमएच कॉलेज के प्राचार्य प्रो पीयूष चौहान ने बताया कि जो छात्र फेल हैं वह बैक परीक्षा देकर पास हो सकते हैं। वहीं जिन शिकायतों में तकनीकी समस्या है, उनका समाधान किया जा रहा।
सबसे ज्यादा शिकायत स्किल कोर्स की
एमएमएच कॉलेज के प्राचार्य प्रो पीयूष चौहान ने बताया किअन्य विषयों के मुकाबले इस तरह की सबसे ज्यादा शिकायत को-करिकुलर और स्किल विषयों में ही आ रही हैं। शंभू दयाल कॉलेज के वैभव त्यागी ने बताया कि किस विषय में कुल कितने अंक हैं इससे फर्क नहीं पड़ता, मगर एक्सटर्नल और इंटर्नल परीक्षा में पास होने के लिए जो न्यूनतम अंक तय किए हैं वह अनिवार्य हैं। उन्होंने बताया कि इसके लिए विश्वविद्यालय को दोष नहीं दिया जा सकता। असल में छात्र नई शिक्षा नीति के सभी नियमों को अभी तक समझ नहीं पाए हैं।