ऐप पर पढ़ें
Chandrayaan-3 Latest Update: चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ऐतिहासिक लैंडिंग के बाद लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर आ गया। इसरो अपने तीसरे मून मिशन को लेकर हर कुछ घंटों बाद नई-नई जानकारियां दे रहा है। स्पेस एजेंसी ने बड़ी खुशखबरी देते हुए एक ताजा वीडियो शेयर किया है, जिसमें बताया गया है कि दो सैगमेंट वाले विक्रम लैंडर के रैंप ने रोवर को नीचे उतरने में मदद की। इसके बाद रोवर का सोलर पैनल भी खुल गया, ताकि पावर जेनरेट की जा सके।
चांद पर लैंडिंग के तकरीबन ढाई घंटे बाद ही बुधवार की रात लैंडर विक्रम से रोवर प्रज्ञान बाहर आ गया था। इसरो ने रोवर के नीचे उतरने के दौरान का वीडियो भी शेयर किया था। वीडियो में लैंडर का रैंप खुलते ही उसमें से रोवर धीरे-धीरे बाहर आया। अब शुक्रवार शाम को शेयर किए गए इसरो द्वारा ताजा वीडियो में बताया गया है कि कैसे बाहर आते ही रोवर के सोलर पैनल भी खुल गए और काम करने लगे। इसरो ने ट्वीट किया, ”दो सैगमेंट वाले रैंप ने रोवर के रोल-डाउन की सुविधा प्रदान की। एक सोलर पैनल ने रोवर को पावर जेनरेट करने में सक्षम बनाया। सीएच-3 मिशन में कुल 26 तैनाती तंत्र, यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी)/इसरो, बेंगलुरु में विकसित किए गए थे।”
इससे पहले, इसरो ने आज सुबह चंद्रयान-3 मिशन के रोवर ‘प्रज्ञान’ के लैंडर ‘विक्रम’ से बाहर निकलने और इसके चंद्रमा की सतह पर चलने का एक शानदार वीडियो जारी किया था। यह वीडियो लैंडर के इमेजर कैमरे ने बनाया। इसरो ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह वीडियो साझा करते हुए संदेश लिखा, ”… और चंद्रयान-3 का रोवर, लैंडर से निकलकर इस तरह चंद्रमा की सतह पर चला।” इसरो ने कहा था, ”सभी गतिविधियां निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार जारी हैं। सभी प्रणालियां सामान्य हैं। लैंडर मॉड्यूल में मौजूद इल्सा (‘इंस्ट्रूमेंट फॉर लूनर सीस्मिक एक्टिविटी’), रंभा (रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर) और चेस्ट चालू हो गए। रोवर ने चलना शुरू कर दिया है। ‘प्रोपल्शन मॉड्यूल’ में मौजूद ‘शेप’ (स्पेक्ट्रो-पोलरिमेट्री ऑफ हैबिटेबल प्लैनेट अर्थ) पेलोड का संचालन रविवार को शुरू हो गया था।”
चंद्रयान-3 की लैंडिंग करवा इसरो ने रचा है इतिहास
इसरो ने बुधवार शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया। भारत दुनिया का पहला देश बन गया, जोकि चांद के साउथ पोल पर उतरा है। वहीं, चांद पर पहुंचने वाला भारत चौथा देश है। इससे पहले अमेरिका, चीन, सोवियत संघ यह कारनामा कर चुके हैं। चंद्रयान-3 की यह लैंडिंग इसलिए भी काफी महत्वपूर्ण थी, क्योंकि उसे अपने दूसरे मून मिशन में चार साल पहले विफलता मिली थी। सितंबर, 2019 में इसरो चंद्रयान-2 को चांद पर सॉफ्ट लैंड नहीं करवा सका था। इसके बाद वैज्ञानिकों की कड़ी मेहनत के बाद चंद्रयान-3 बुधवार की शाम चांद की सतह पर उतर गया। इसरो की इस सफलता को दुनियाभर से बधाई मिली है।