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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 23 अगस्त की शाम को चंद्रमा पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम को उतारकर इतिहास रच दिया था। ऐसा कारनामा करके भारत चंद्रमा की सतह पर उतरने वाला दुनिया का चौथा देश और दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया। तब से दो महीनों में, इसरो व्यस्त रहा है। चंद्रमा पर भले ही विक्रम और प्रज्ञान रोवर चिर निद्रा में हों लेकिन, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी विश्राम मोड में जाने के मूड में नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद से इसरो ने कई बड़े प्रक्षेपणों के साथ अपनी क्षमताओं को दुनिया के सामने दिखाया है। एक नजर दो महीनों के कारनामों और आगे की प्लानिंग पर…
चंद्रमा पर उतरने के बाद इसरो ने 2 सितंबर को अपना पहला सौर मिशन लॉन्च किया। इस रॉकेट को सूर्य का अध्ययन करने के लिए लॉन्च किया गया था। इसके अलावा हाल ही में इसरो ने गगनयान के लिए पहली सफल टेस्टिंग भी की।
सौर अनुसंधान के लिए भारत की पहली अंतरिक्ष वेधशाला, आदित्य-एल1, सौर हवाओं और पृथ्वी के जलवायु पैटर्न पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने के लिए तैयार है। सूर्य के वायुमंडल का अध्ययन करने के लिए अंतरिक्ष यान को लगभग चार महीनों में 1.5 मिलियन किमी की यात्रा करने की उम्मीद है। अंतरिक्ष यान के जनवरी 2024 में लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) तक पहुंचने और सूर्य का अवलोकन शुरू करने की उम्मीद है।
2035 में स्पेस सेंटर और 2040 तक चांद पर भारतीय
इस मिशन के अलावा, इसरो ने भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए महत्वाकांक्षी योजनाओं की भी घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो को 2035 तक स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने और 2040 तक चंद्रमा पर एक भारतीय को उतारने का निर्देश दिया है।
ये लक्ष्य भारत की भविष्य की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का संकेत देने वाले रोडमैप का हिस्सा हैं।
गगनयान की पहली परीक्षण उड़ान
इसरो ने 21 अक्टूबर को क्रू एस्केप सिस्टम का सफलतापूर्वक परीक्षण किया जिसका उपयोग गगनयान मिशन में आपात स्थिति में किया जाएगा। गगनयान इसरो का 2025 में बहुप्रतिक्षित मिशन है, जिसमें इसरो यात्रियों को यान के साथ भेजेगा और वे यान समेत अंतरिक्ष की तीन दिनों की यात्रा पूरी कर वापस लौटेंगे। इसरो इस मिशन को विकसित कर रहा है क्योंकि पीएम मोदी की घोषणाएं गगनयान मिशन की सफलता पर निर्भर हैं।
गगनयान मिशन में खास क्या है
भारत के पास अभी भी अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजने की क्षमता नहीं है और गगनयान मिशन का लक्ष्य इसे बदलना है। इसरो 2025 तक पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री को घरेलू अंतरिक्ष यान से अंतरिक्ष में भेजने की योजना बना रहा है। अंतरिक्ष यात्री उम्मीदवार वर्तमान में प्रशिक्षण में हैं।
आगे की प्लानिंग
इसके अलावा, इसरो ने आने वाले वर्षों के लिए कई मिशनों की योजना बनाई है। इसमें एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट (XPoSat) ब्रह्मांडीय एक्स-रे के ध्रुवीकरण का अध्ययन करेगा। वीनस ऑर्बिटर मिशन और मार्स ऑर्बिटर मिशन 2 की योजना क्रमशः 2025 और 2026 के लिए बनाई गई है।
चंद्रमा पर उतरने के बाद केवल दो महीनों में, इसरो ने अंतरिक्ष अनुसंधान और अन्वेषण को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है। भविष्य के लिए सफल मिशनों और महत्वाकांक्षी योजनाओं की सीरीज के साथ, इसरो निस्संदेह वैश्विक अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत की प्रमुखता का मार्ग प्रशस्त कर रहा है।