Home World Chandrayaan-3 से लेकर गगनयान, ISRO के नाम रहा 2023; आगे क्या चल रही तैयारी

Chandrayaan-3 से लेकर गगनयान, ISRO के नाम रहा 2023; आगे क्या चल रही तैयारी

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साल 2023 भारत को अनेकानेक उपलब्धियां देकर यादगार विदाई ले रहा है। हर क्षेत्र में हमने दुनिया को अपनी ताकत दिखाई है लेकिन, इसरो (ISRO) के लिए साल 2023 बेहद खास रहा। चंद्रयान-3 को चांद के साउथ पोल पर उतारकर हमने इतिहास रचा। फिर कुछ वक्त बाद आदित्य-एल 1 लॉन्च किया। इसके अलावा 46 विदेशी सैटेलाइट्स को लांच किया। गगनयान की टेस्टिंग चल रही है, इसे 2025 तक भेजने की तैयारी है। इसरो अंतरिक्ष पर स्टेशन से लेकर चांद पर इंसान उतारने की तैयारी कर रहा है। 2023 में इसरो का एक भी मिशन फेल नहीं हुआ है। इसी जोश के साथ इसरो 2024 की भी धमाकेदार शुरुआत कर रहा है। नए साल के पहले दिन इसरो एक और प्रक्षेपण के लिए तैयार हैं। यह ब्लैक होल की रहस्यमयी दुनिया का अध्ययन करने को लेकर है। एक नजर डालते हैं, 2023 में इसरो की उपलब्धियों पर और आगे क्या-क्या प्लानिंग है। 

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) 1 जनवरी सोमवार को एक्सपीओसैट (एक्स-रे पोलारिमीटर सैटेलाइट) के प्रक्षेपण के साथ वर्ष 2024 की शानदार शुरुआत करने के लिए तैयार है। यह भारत का पहला XPoSat है, जिसका उद्देश्य तीव्र एक्स-रे स्रोतों के ध्रुवीकरण की जांच करना और ब्लैक होल की रहस्यमय दुनिया का अध्ययन करना है। 

इसरो के नाम रहा 2023

इसरो ने साल 2023 में अनेकों इतिहास रचे। 23 अगस्त 2023 को इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के ये शब्द इतिहास की किताबों में दर्ज किए जाएंगे। जब उन्होंने दुनिया को बताया- हमने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है। यह भारत के लिए अमेरिका के अपोलो मिशन के सफल होने जैसा क्षण था, जब चंद्रयान-3 ने धरती से 3,84,400 किमी से अधिक दूर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर यान को उतारा। भारत के अंतरिक्ष इतिहास में साल 2023 भले ही चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के लिए गिना जाएगा लेकिन, इस साल इसरो ने सूर्य के अध्ययन के लिए आदित्य एल-1 को रवाना किया। इसके अलावा 46 विदेशी सैटेलाइट्स भी छोड़े।

चंद्रयान-3

चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुवीय क्षेत्र पर उतारकर भारत ऐसा करने वाला दुनिया का इकलौता देश है। हालांकि चांद पर यान उतारने वाले देशों में भारत का चौथा नंबर है। भारत ने पहली बार चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कराकर सौर मिशन में इतिहास रचने की शुरुआत कर दी है। इसरो ने न केवल अपनी तकनीकी कौशल का प्रदर्शन किया, बल्कि कोरोनोवायरस महामारी, लगातार लॉकडाउन और दिल तोड़ने वाली विफलताओं के टोटके को खत्म किया। भारतीय अंतरिक्ष यान चंद्रयान-3 ने चांद पर सल्फर की खोज की। अनेकों खनीजों का पता लगाया। चंद्रयान-3 ने चांद से कई तस्वीरें भी दुनिया को दिखाई। इससे पहले चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाले देश संयुक्त राज्य अमेरिका, सोवियत संघ और चीन शामिल है।

आदित्य-एल 1

चंद्रमा पर सफलता पाने के तुरंत बाद इसरो ने 15 दिन के भीतर अंतरिक्ष में एक और छलांग लगाई। सूर्य के अध्ययन के लिए इसरो के वैज्ञानिकों ने 2 सितंबर 2023 को आदित्य-एल1 मिशन की लॉन्चिंग की। यह मिशन सूर्य की सबसे बाहरी परत कोरोना का अध्ययन करेगा। इससे हमे सूर्य को और गहराई से समझने में मदद मिलेगी। इससे हमे अंतरिक्ष में होने वाले मौसमी परिवर्तन का भी पता चलेगा। भारत के लिए आदित्य एल-1 बेहद महत्वपूर्ण मिशन है। अगर सबकुछ ठीक रहा तो यह जनवरी 2024 के मध्य में अपने गंतव्य को पूरा कर लेगा।

गगनयान

इसरो की गगनयान मिशन को लॉन्च करने की योजना 2025 तक है। हालांकि इस मिशन को लेकर टेस्टिंग 2023 से ही चल रहे हैं। 21 अक्टूबर को इसरो ने गगनयान मिशन की पहले टेस्टिंग उड़ान का सफल प्रक्षेपण किया। साल 2024 में भी इस मिशन को लेकर एक और टेस्टिंग उड़ान की जाएगी। गगनयान के तहत इसरो अंतरिक्ष यान को 2025 में इंसानों के साथ शुरू करेगा। तीन दिनी इस मिशन में इंसानों को पृथ्वी की कक्षा में 400 किलोमीटर की ऊंचाई तक भेजा जाएगा और फिर सुरक्षित रूप से धरती पर वापस लाया जाएगा।   

आगे की प्लानिंग

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो 2035 तक अपना अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने जा रहा है। वहीं, 2040 तक चंद्रमा पर पहला भारतीय भेजने का लक्ष्य रखा है। 



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