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देश के लिए बुधवार का दिन ऐतिहासिक होने वाला है। चंद्रयान-3 चांद की धरती पर अपने कदम रखकर इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जोड़ेगा। इन एतिहासिक और गौरवान्वित कर देने वाले क्षणों को संजोने के लिए शहरवासियों की दीवानगी चरम पर है। चंद्रयान की इस गौरवमयी आभा में मुरादाबाद के सितारे भी चमक रहे हैं। मुरादाबाद के वैज्ञानिक मेघ भटनागर, अनीश रमन सक्सेना और रजत प्रताप सिंह भी मिशन चंद्रयान से जुड़े हैं। इसरो के ये सितारे अपने साथी वैज्ञानिकों की पूरी टीम के साथ चंद्रयान-3 के चंद्रमा पर उतरने की गौरवमयी घटना का गवाह बनेंगे। तीनों वैज्ञानिकों के परिवार में चंद्रयान की चंद्रमा पर लैंडिंग को लेकर उत्साह और उत्सुकता उफान पर है।
चंद्रयान 3 के ‘ब्रेन’ की क्वालिटी कंट्रोल कर रहे मेघ
मुरादाबाद के मेघ भटनागर इस समय इसरो, बेंगलुरु में कार्यरत हैं। अपनी टीम के साथ मेघ चंद्रयान 3 का ब्रेन माने जा रहे ऑनबोर्ड सॉफ्टवेयर के क्वालिटी कंट्रोलिंग का जिम्मा संभाल रहे हैं। इसी के जरिये चंद्रयान अपना सही रास्ता ढूंढकर लक्ष्य की तरफ बढ़ रहा है। मेघ भटनागर ने केंद्रीय विद्यालय मुरादाबाद से बारहवीं की परीक्षा पास की थी। वर्ष 2015 से 2019 तक वह विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर में कार्यरत रहे। तीन साल से वह यूआर राव स्पेस सेंटर में कार्यरत होने के साथ मिशन चंद्रयान का हिस्सा बने हैं।
चंद्रयान-3 की सफलता के लिए कहीं हवन-पूजन, कहीं प्रार्थना सभा, काशी और प्रयागराज में कई आयोजन
रजत के ‘रॉकेट’ ने मंजिल की ओर छोड़ा चंद्रयान
छह साल पहले इसरो की परीक्षा पास करके स्पेस इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपने कदम रखने वाले मुरादाबाद के रजत प्रताप सिंह चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा में पहुंचाने वाले रॉकेट की कंट्रोलिंग करके इस मिशन का हिस्सा बने हैं। विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के वैज्ञानिकों की टीम के एक सदस्य के रूप में अजय मिशन चंद्रयान को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण साबित हो रहे जीएसएलवी मार्क थ्री रॉकेट के प्रक्षेपण और इसकी कंट्रोलिंग में पूरे उत्साह के साथ जुटे हैं।
हाई रिजोल्यूशन कैमरों से चांद को ‘चमका’ रहे अनीश
बाइस साल से इसरो में कार्यरत मुरादाबाद के अनीश रमन सक्सेना मिशन चंद्रयान वन से लगातार इस अभियान में अपना सक्रिय योगदान कर रहे हैं। वर्तमान में इसरो, अहमदाबाद में कार्यरत अनीश ने अपनी टीम के साथ चंद्रयान टू के आर्बिटर के जो प्रोब्स तैयार किए थे उन्होंने चंद्रयान 3 का सफर शुरू होने और लगातार तेजी के साथ आगे बढ़ने के समय भी इसका दामन नहीं छोड़ा।
चंद्रयान टू में लैंडर के गिरने और इसके एकदम सटीक कारणों की जानकारी टीम अनीश के आर्बिटर के जरिये प्राप्त हुई। चंद्रमा पर बर्फ के रूप में पानी की मौजूदगी की सच्चाई इसी आर्बिटर के जरिये सामने आई। इसरो, अहमदाबाद की टीम जिसमें मुरादाबाद के अनीश शामिल हैं। इसी ने चंद्रयान थ्री के हाई रिजोल्यूशन कैमरे व अन्य हाइटेक उपकरण तैयार करके अपना मजबूत तकनीकी योगदान दर्ज कराया है।
पापा को पल-पल का अपडेट दे रहे अनीश
मुरादाबाद के वैज्ञानिक अनीश रमन सक्सेना की मां का कैंसर से उस समय निधन हो गया था जब मिशन चंद्रयान टू अपने फाइनल की ओर बढ़ रहा था। तब से मुरादाबाद में मौजूद अपने पापा आरआर सक्सेना का अहमदाबाद से ही लगातार पूरा ख्याल रख रहे अनीश मिशन चंद्रयान से जुड़े पल पल का अपडेट पापा को दे रहे हैं।
अनीश के पापा की आंखों में उत्साह, उत्सुकता गर्व और भावुकता के आंसू छलक रहे हैं। आरआर सक्सेना ने कहा, मेरे और सब हिन्दुस्तानियों की जुबां पर यही दुआ है कि ये चंद्रयान 3 का मिशन हम सब अपनी आंखों के सामने कामयाब होते हुए देखें और खुशी से झूम जाएं।
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