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Chandrayaan-3 Mission Updates- चांद पर अभी क्या चल रहा? विक्रम और प्रज्ञान के जागने की कितनी बची उम्मीद

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Chandrayaan-3 Mission Updates- चांद पर अभी क्या चल रहा? विक्रम और प्रज्ञान के जागने की कितनी बची उम्मीद

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Chandrayaan-3 Mission Updates- भारत के ऐतिहासिक चंद्रमिशन के दो हाथ विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर कब जागेंगे? हर भारतीय के दिल में यही उम्मीद है। इसरो चीफ एस सोमनाथ कह चुके हैं कि अगले चंद्र सूर्यास्त तक उनकी टीम रोवर को जगाने की कोशिश करती रहेगी। चांद पर लगातार इस उम्मीद से सिग्नल भेजे जा रहे हैं कि वे जागेंगे और एक बार फिर चांद के दक्षिणी ध्रुव के राज परत-परत खोलेंगे। लेकिन, अभी यह मुमकिन नहीं हो पाया है। चांद पर कदम रखने के बाद रोवर ने पहले चरण में महत्वपूर्ण जानकारियां इसरो से साझा की थी। जिसमें सल्फर समेत कई तत्वों की खोज शामिल थी। अगर रोवर जाग जाता है तो उसका अगला मिशन चांद पर हाईड्रोजन की खोज करना होगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान-3 मिशन के विक्रम लैंडर और प्रज्ञान फिर से जागेंगे, इसकी उम्मीद न के बराबर नजर आ रही है। अंतरिक्ष एजेंसी उम्मीद कर रही थी कि विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर तब जागेंगे जब चांद पर सूर्य उगेगा। 22 सितंबर को चंद्र सूर्योदय हुआ था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और जैसे-जैसे हर दिन बीत रहा है, रोवर और विक्रम के एक्टिव होने की संभावना कम होती जा रही है।

चंद्रयान-3 के वैज्ञानिक उद्देश्य पूरा करने के बाद इसरो ने चंद्र सूर्यास्त से पहले उपकरणों के सभी संचालन सफलतापूर्वक बंद कर दिए थे। साथ ही विक्रम और रोवर को स्लीपिंग मोड में डाल दिया था। मिशन को एक चंद्र दिवस या पृथ्वी पर लगभग 14 दिनों तक कार्य करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसरो का विचार यह था कि पर्याप्त धूप मिलने पर लैंडर और रोवर जाग सकते हैं क्योंकि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सूर्य फिर से उग आया है जहां वे हैं।

चांद के तापमान का बुरा असर

विक्रम और प्रज्ञान के इलेक्ट्रॉनिक्स चंद्रमा पर रात की चरम स्थितियों में जीवित रहने के लिए डिज़ाइन नहीं किए गए हैं। चंद्र रात्रि के दौरान पूर्ण अंधकार होता है जिसके कारण सौर ऊर्जा संचालित मिशन को बिजली नहीं मिलती है। इसके अलावा, तापमान शून्य से 200 डिग्री नीचे तक गिर जाता है, जिसका अर्थ है कि इलेक्ट्रॉनिक्स जमे हुए हो सकते हैं या नष्ट हो सकते हैं।

हालांकि इसरो के वैज्ञानिकों को भरोसा था कि अंतरिक्ष यान चरम स्थितियों से बच सकता है और फिर से जाग सकता है। बहरहाल, अंतरिक्ष एजेंसी मिशन से संपर्क नहीं कर पाई है और “उम्मीदें लगातार कम होती जा रही हैं।” वास्तव में, केवल 50 संभावना है कि उपकरण ठंडे तापमान को सहन कर सकें हों।

कितनी बची उम्मीद

इसरो के पूर्व प्रमुख एएस किरण कुमार ने बीबीसी को बताया कि “प्रत्येक गुजरते घंटे के साथ विक्रम और रोवर के पुनः जागने की संभावना कम होती जा रही है।” कुमार के अनुसार, कई घटक चंद्रमा पर चरम स्थितियों से बच नहीं पाए होंगे।

अपने पूरे जीवनकाल में न जागने के बावजूद, चंद्रयान-3 मिशन एक जबरदस्त सफलता बना हुआ है। मिशन का प्राथमिक उद्देश्य चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यान को सॉफ्ट-लैंड कर भारत की क्षमता को साबित करना था। ऐसा करके, भारत दुनिया के उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है जिन्होंने कभी चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग हासिल की है। सूची के अन्य सदस्यों में संयुक्त राज्य अमेरिका, तत्कालीन सोवियत संघ और चीन शामिल हैं।

रोवर ने चांद पर क्या-क्या खोजा

इसके अलावा, प्रज्ञान रोवर ने लगभग 100 मीटर की दूरी तय की और चंद्रमा पर कई तत्वों की उपस्थिति का पता लगाया। सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि इसने सल्फर की मौजूदगी के सबूत जुटाए, जो पहले किसी अन्य मिशन द्वारा कभी नहीं किया गया था।

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