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Vikram Lander send Moon Pictures: इसरो ने मंगलवार को बताया कि चंद्रयान-3, जो 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट-लैंडिंग के लिए बिल्कुल तैयार है, का विक्रम लैंडर इस वक्त सही समय पर है और पूरी तरह से सुरक्षित है। अंतरिक्ष एजेंसी के मुताबिक, “सिस्टम की नियमित जांच हो रही है और संचालन सही ढंग से चल रहा है।” यह भी बताया कि “मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (एमओएक्स) ऊर्जा और उत्साह से भरा हुआ है!” इस दौरान इसरो ने विक्रम लैंडर द्वारा 70 किलोमीटर की ऊंचाई से खींची गई तस्वीर भी साझा की।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 19 अगस्त को लगभग 70 किलोमीटर की ऊंचाई से चंद्रयान-3 मिशन के ‘लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरे’ (एनपीडीसी) से ली गई चंद्रमा की तस्वीरें मंगलवार को जारी कीं। इसरो ने बताया कि एलपीडीसी से ली गई तस्वीरें यान पर मौजूद चंद्रमा के संदर्भ मानचित्र के साथ मिलान करके इसकी स्थिति (अक्षांश और देशांतर) निर्धारित करने में मिशन के लैंडर मॉड्यूल (एलएम) की सहायता करती हैं। विक्रम लैंडर के बुधवार को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने की उम्मीद है।
इससे पहले इसरो ने ‘लैंडर हजार्ड डिटेक्शन एंड एवाइडेंस कैमरा’ (एलएचडीएसी) से ली गई चंद्रमा के सुदूर पार्श्व भाग की तस्वीरें सोमवार को जारी की थीं। अहमदाबाद स्थित ‘अंतरिक्ष अनुप्रयोग केंद्र’ (एसएसी) द्वारा विकसित यह कैमरा नीचे उतरते समय ऐसे सुरक्षित ‘लैंडिंग’ क्षेत्र का पता लगाने में सहायता करता है, जहां चट्टानें या गहरी खाइयां न हों। एसएसी इसरो का प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र है।
इसरो के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए लैंडर में एलएचडीएसी जैसी कई उन्नत प्रौद्योगिकियां हैं। गौरतलब है कि चंद्रयान-2 की असफलता के बाद चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था। चंद्रयान-3 को चंद्रमा की सतह पर सफलता से उतरने और विचरण करने की क्षमताओं को प्रदर्शित करने के लिए भेजा गया है।
चंद्रयान-3 का अब तक का सफर:
6 जुलाई: इसरो ने घोषणा की कि चंद्रयान-3 मिशन 14 जुलाई को आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से लॉन्च हुआ।
7 जुलाई: सभी वाहन विद्युत परीक्षण सफलतापूर्वक पूरे किये गये।
11 जुलाई: 24 घंटे का ‘लॉन्च रिहर्सल’ सफलतापूर्वक किया गया।
14 जुलाई: इसरो के LVM3 M4 ने चंद्रयान-3 को उसकी निर्धारित कक्षा में लॉन्च किया।
15 जुलाई: मिशन की पहली कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया बेंगलुरु में सफल रही। अंतरिक्ष यान 41762 किमी x 173 किमी की कक्षा में पहुंचा।
17 जुलाई: चंद्रयान -3 को 41603 किमी x 226 किमी की कक्षा में स्थापित किया।
22 जुलाई: अंतरिक्ष यान को 71351 किमी x 233 किमी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित किया।
25 जुलाई: कक्षा बढ़ाने का एक और प्रयास सफलतापूर्वक किया गया।
1 अगस्त: एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर में चंद्रयान-3 ने 288 किमी x 369328 किमी की कक्षा के साथ ट्रांसलूनर कक्षा में प्रवेश किया।
5 अगस्त: अंतरिक्ष यान ने 164 किमी x 18074 किमी पर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया।
6 अगस्त: अंतरिक्ष यान की कक्षा को चंद्रमा के चारों ओर 170 किमी x 4,313 किमी तक कम कर दिया गया।
9 अगस्त: एक और युद्धाभ्यास किया गया जिससे अंतरिक्ष यान को 174 किमी x 1437 किमी तक नीचे लाया गया।
14 अगस्त: मिशन ने 151 किमी x 179 किमी कक्षा के कक्षा गोलाकार चरण में प्रवेश किया।
16 अगस्त: अंतरिक्ष यान 153 किमी x 163 किमी की कक्षा में प्रवेश कर गया।
17 अगस्त: लैंडिंग मॉड्यूल, जिसमें विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर शामिल थे, को इसके प्रणोदन प्रणाली से अलग कर दिया गया।
18 अगस्त: अंतरिक्ष यान ने सफलतापूर्वक ‘डीबूस्टिंग’ ऑपरेशन पूरा किया जिससे इसकी कक्षा 113 किमी x 157 किमी तक कम हो गई। डीबूस्टिंग खुद को एक ऐसी कक्षा में स्थापित करने के लिए धीमा करने की प्रक्रिया है जहां कक्षा का चंद्रमा से निकटतम बिंदु (पेरिल्यून) 30 किमी है और सबसे दूर का बिंदु (अपोल्यून) 100 किमी है।
20 अगस्त: चंद्रयान-3 ने दूसरा और अंतिम डीबूस्टिंग ऑपरेशन किया और एलएम कक्षा को घटाकर 25 किमी x 134 किमी कर दिया।
23 अगस्त: अगर सब कुछ ठीक रहा और योजना के मुताबिक अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर उतरेगा।
इसरो के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा है कि राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी लैंडिंग के साथ आगे तभी बढ़ेगी जब उस दिन स्थितियां “अनुकूल” होंगी। वरना 27 अगस्त को दोबारा प्रयास किया जाएगा।
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