Home World China Nepal Vs India: चीन की यात्रा और ओली ने नेपाल में यूं पलट दी बाजी, प्रचंड को पीएम बनाकर ड्रैगन ने भारत को पछाड़ा?

China Nepal Vs India: चीन की यात्रा और ओली ने नेपाल में यूं पलट दी बाजी, प्रचंड को पीएम बनाकर ड्रैगन ने भारत को पछाड़ा?

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China Nepal Vs India: चीन की यात्रा और ओली ने नेपाल में यूं पलट दी बाजी, प्रचंड को पीएम बनाकर ड्रैगन ने भारत को पछाड़ा?

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काठमांडू: नेपाल में एक बार फिर से भारत के धुर विरोधी और चीन के इशारे पर नाचने वाले केपी शर्मा ओली का ‘राज’ आ गया है। हालांकि इस बार ओली पीएम नहीं किंगमेकर बने हैं। नेपाल के वामपंथी नेता ओली के समर्थन से उनके कामरेड मित्र पुष्‍प कमल दहल प्रचंड प्रधानमंत्री बने हैं। इस बीच अब खुलासा हुआ है कि ओली और प्रचंड के बीच साल 2018 की तरह से एक बार से दोस्‍ती कराने में चीन ने बड़ी अ‍हम भूमिका निभाई है। बताया जा रहा है कि प्रचंड की पार्टी के महासचिव बर्शमान पुन ने सरकार बनने से ठीक पहले चीन की यात्रा की थी। करीब 2 सप्‍ताह तक पुन के चीन में रहने के बाद नेपाल लौटते ही प्रचंड का रुख बदल गया और ओली के साथ गठबंधन का रास्‍ता साफ हो गया।

प्रचंड के करीबी नेता पुन ने हमेशा से ही ओली के साथ गठबंधन का समर्थन किया है। इंडियन एक्‍सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक पुन इलाज के नाम पर चीन गए और वहीं पर रहकर नेपाल में दोनों वाम दलों के बीच गठबंधन बनाने काम किया। पुन की वजह से ही ओली और प्रचंड करीब आ गए। नेपाल में अभी चीन का कोई राजदूत नहीं है। इससे पहले ओली को अपने इशारों पर नचाने वाली हाओ यांकी को हटा दिया गया था। हाओ की जगह पर चेन सोंग को राजदूत बनाया गया है लेकिन अभी वह आए नहीं हैं। बताया जा रहा है कि अब नई सरकार बनने के बाद चेन सोंग काठमांडू आएंगे।
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चीन के साथ संपर्क में थीं नेपाली राष्‍ट्रपति

नेपाल के राष्‍ट्रपति बिद्यादेवी भंडारी ओली की बहुत करीबी हैं और उन्‍होंने वामदलों की एकता का पूरा समर्थन किया। भंडारी प्रचंड और शेर बहादुर देउबा की गठबंधन सरकार से खुश नहीं थीं। यही नहीं भारत की धुर विरोधी नेपाली राष्‍ट्रपति भंडारी के बारे में कहा जा रहा है कि वह लगातार चीनी राजनयिकों और अन्‍य अधिकारियों के साथ लगातार संपर्क में थीं। इससे पहले भारत के राजदूत ने प्रचंड और देउबा के साथ मुलाकात करके सरकार बनाने के बारे में जानकारी ली थी। अब भारत के धुर विरोधी ओली प्रचंड के साथ सत्‍ता में आ गए हैं।

इस तरह से भारत-नेपाल के बीच संबंधों में एक बार फिर से समय का पहिया साल 2018 से 2021 के दौर में पहुंच गया है। नेपाल की भारत के लिए अहमियत को देखते हुए ही भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रचंड को सबसे पहले प्रधानमंत्री बनने की बधाई दी। भारत प्रचंड की साल 2005 और साल 2016 में मदद कर चुका है। हालांकि इस बार ओली किंगमेकर की भूमिका में हैं जो भारत नेपाल के बीच द्विपक्षीय रिश्‍तों में एक बड़ा फैक्‍टर बन सकता है। पिछले दिनों प्रचंड बीजेपी के बुलावे पर नई दिल्‍ली आए थे। इस बदलाव का असर वेस्‍ट सेती हाइड्रोपावर प्रॉजेक्‍ट पर पड़ सकता है।

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नेपाल के साथ बीआरआई पर काम करेगा चीन

इस बीच चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने संबंधित सवाल के जवाब में कहा कि चीन पुष्प कमल दहल को नेपाल का नया प्रधानमंत्री बनने की बधाई देता है। चीन को विश्वास है कि नेपाल सरकार और जनता की समान कोशिशों और विभिन्न पार्टियों व राजनीतिक शक्तियों के सलाह मशविरे पर नेपाल राष्ट्रीय स्थिरता और आर्थिक व सामाजिक विकास बनाए रखेगा। प्रवक्ता ने बताया कि परंपरागत मैत्रीपूर्ण पड़ोसी देश होने के नाते चीन चीन-नेपाल संबंधों को बड़ा महत्व देता है और नेपाल की नयी सरकार के साथ विभिन्न क्षेत्रों में मैत्रीपूर्ण आवाजाही व सहयोग का विस्तार करने और बेल्ट एंड रोड का गुणवत्ता निर्माण करने के लिए तैयार है।

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