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राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो फुगुई के अचानक निधन के बाद पांच साल के उस द्विपक्षीय समझौते पर कोई असर नहीं पड़ेगा जिससे ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका खासे चिंतित हैं। फुगुई से पहले यूक्रेन के राजदूत 65 साल के सेर्ही काम्यशेव की फरवरी 2021 में मृत्यु हो गई थी। काम्यशेव बीजिंग में होने वाले शीत ओलंपिक की जगह का निरीक्षण करके लौटे थे। इसके अलावा जर्मनी के 54 वर्षीय जन हेके की भी सितंबर 2021 में बीजिंग में मौत हो गई थी। हेके उस समय चांसलर एंजेला मर्केल के विदेश नीति सलाहकार थे। उन्हें राजदूत का पद संभाले हुए बस दो हफ्ते ही हुए थे कि उनका निधन हो गया था।
ताइवान की मान्यता खत्म
फिलीपीन पत्रकार से राजनयिक बने 74 साल के जोस सैंटियागो ‘चिटो’ स्टा रोमान की अप्रैल 2022 में अन्हुई प्रांत में क्वारंटाइन में मृत्यु हो गई थी। इसके बाद अगस्त में म्यांमार के मिशन प्रमुख यू मायो थांट पे ने युन्नान प्रांत की प्रांतीय राजधानी कुनमिंग में मृत्यु हो गई। फ़ुगुई मई 2021 में चीन में सोलोमन द्वीप के पहले राजदूत बने, जब उनके देश ने सितंबर 2019 में ‘वन चाइना’ नीति के तहत ताइपे से बीजिंग को राजनयिक मान्यता दी। इस फैसले के बाद ताइवान के साथ तीन दशकों से जारी सोलोमन द्वीप का संबंध खत्म हो गया था। अधिक का संबंध समाप्त हो गया।
इसी साल पहुंचे थे चीन
अप्रैल 2022 में चीन और सोलोमन द्वीप के बीच एक सुरक्षा समझौता हुआ था। इस समझौते के बा अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया चिंतित हो गए थे। उन्हें इस बात की चिंता थी कि समझौते के बाद प्रशांत महाद्वीप में चीन अपना सैन्य प्रभाव बढ़ा सकता है। अपने कार्यकाल के दौरान फुगुई ने सोलोमन की राजधानी होनाइरा से चीन के कई शहरों के बीच डायरेक्ट फ्लाइट शुरू कराई थी। उन्होंने कई तरह के निर्यात को बढ़ावा दिया था। साथ ही सौर ऊर्जा से लेकर चीनी निवेश और पर्यटकों को आकर्षित करने की दिशा में काफी काम किया था।
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