अफगानिस्तान से परेशान चीन
अफगानिस्तान में जारी हिंसा और अस्थिरता की वजह से चीनी हितों पर खतरा मंडरा रहा है। चीन को लगने लगा है कि अगर यही स्थिति जारी रही तो फिर आने वाले दिनों में उसके महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) की सफलता पर मुश्किल पैदा हो सकती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए तालिबान को हथियार मुहैया कराने का फैसला किया गया है। चीनी सूत्रों की तरफ से भी इस बात पर चिंता जताई गई है कि अफगानिस्तान में लगातार हिंसा और अनिश्चितता की स्थिति बनी हुई है।
आतंकियों का अड्डा न बन जाए काबुल
सूत्रों की मानें तो चीन को लगता है कि अगर यही हालात रहे तो फिर वह दिन दूर नहीं जब अफगानिस्तान आतंकियों का अड्डा होगा। यहां पर मौजूद आतंकी चीन के शिनजियांग को निशाना बना सकते हैं। साथ ही विदेशी जमीन पर स्थित उसके हितों जैसे चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (CPEC) पर भी असर पड़ेगा। सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स की मानें तो सीपीईसी वह प्रोजेक्ट है जहां पर संभावित खतरों का सामना करने के लिए चीन और पाकिस्तान के बीच संपर्क और आपसी सहयोग को बढ़ाया गया है।
12 दिसंबर 2022 को आईएसकेपी के आतंकियों ने जिस समय काबुल के होटल को निशाना बनाया, वहां पर कई चीनी नागरिक मौजूद थे। इस हमले में पांच चीनी नागरिक घायल हो गए थे। जबकि 18 विदेशी नागरिकों की मौत हो गई थी। हमले में शामिल तीन हमलावरों को ढेर कर दिया गया था। शुरुआत में कहा गया था कि इस होटल को चीनी व्यापारी चलाते हैं। अक्सर चीनी राजनयिक और व्यापारी इस होटल में आते हैं।
क्या है चीन की प्लानिंग
हमले के बाद चीनी विदेश मंत्रालय की तरफ से कहा गया था कि चीन इस हमले से सदमे में है जो कि काफी प्रबल था। विदेश मंत्रालय की मानें तो चीन की सरकार हर तरह से आतंकवाद की निंदा करती है। कई तरह की चुनौतियों से निबटने के लिए चीन ने तालिबान को पूरी मदद देने का फैसला किया है। चीन, तालिबान के साथ आपसी संपर्क बढ़ा रहा है।
साल 2021 में जब अफगानिस्तान में तालिबान की सरकार आई तो ईरान, पाकिस्तान, रूस औा चीन ने देश में स्थिरता के मकसद से तालिबान की मदद का फैसला किया। दूसरी ओर चीन को यह चिंता भी सताती रहती है कि अफगानिस्तान में अमेरिका की मौजूदगी उसके लिए रणनीतिक खतरा है। ऐसे में जब अमेरिकी सेनाएं यहां से लौटी तो चीन के लिए वह एक बड़ा मौका था।