Home National Citizenship Amendment Act: CAA पर मना रहे जश्न, कौन है मतुआ समुदाय; जानिए क्या है सियासी कनेक्शन

Citizenship Amendment Act: CAA पर मना रहे जश्न, कौन है मतुआ समुदाय; जानिए क्या है सियासी कनेक्शन

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Citizenship Amendment Act: मोदी सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले ऐतिहासिक कदम उठाते हुए नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू कर दिया है। केंद्र सरकार के इस कदम पर जहां विपक्षी दलों में नाराजगी सामने आई है तो दूसरी ओर जश्न भी मनाया जा रहा है। ममता बनर्जी के राज्य पश्चिम बंगाल में सीएए को लेकर खुशियां मनाई जा रही हैं। पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय के एक वर्ग ने सीएए पर दावा किया कि यह उनके लिए दूसरा स्वतंत्रता दिवस है। सोमवार को जैसे ही नरेंद्र मोदी सरकार ने सीएए लागू किया, देशभर से प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना में लोगों के बीच अलग ही माहौल है। 

कौन हैं मतुआ समुदाय 

मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान से आने वाला मतुआ समुदाय हिंदुओं का एक कमजोर वर्ग है। ये लोग भारत-पाकिस्तान विभाजन के दौरान और बांग्लादेश के निर्माण के बाद भारत आ गए थे। पश्चिम बंगाल में 30 लाख की लगभग आबादी वाला यह समुदाय नादिया और बांग्लादेश की सीमा से लगे उत्तर और दक्षिण 24 परगना जिलों में रहता है। इनका राज्य की 30 से अधिक विधानसभा सीटों पर प्रभुत्व है। 

मतुआ समुदाय का इतिहास

मतुआ महासंघ एक धर्मसुधार आन्दोलन है जो 1860 के आसपास अविभाजित भारत के बंगाल में शुरू हुआ था। वर्तमान में मतुआ समुदाय के लोग भारत और बांग्लादेश दोनों में हैं। मतुआ समुदाय हिन्दुओं का एक कमजोर वर्ग है, जिसके अनुयायी विभाजन और बांग्लादेश निर्माण के बाद भारत आ गए थे। हिंदुओं की जाति प्रथा को चुनौती देने वाले इस समुदाय की शुरुआत हरिचंद्र ठाकुर ने की थी। हरिचंद्र ने अपने समुदाय में ऐसी छाप छोड़ी थी कि समुदाय के लोग इन्हें भगवान का अवतार मानने लगे थे। इसके साथ ही समुदाय का भी विस्तार हुआ। बाद में ठाकुर परिवार बांग्लादेश से पश्चिम बंगाल आकर बस गया। पीढ़ी दर पीढ़ी ठाकुर परिवार समुदाय के लिए आराध्य बना रहा। बाद में हरिचंद्र ठाकुर के पड़पोते परमार्थ रंजन ठाकुर समुदाय के प्रतिनिधि बने। 

गौरतलब है कि सीएए नियम जारी होने के साथ मोदी सरकार अब बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए प्रताड़ित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय राष्ट्रीयता प्रदान करना शुरू कर देगी। इनमें हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई शामिल हैं। 



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