वांग ने अपने लेख में लिखा कि चीन बुखार की दवाओं की कमी का सामना कर रहा है, अस्पताल और आपातकालीन सेवाएं भारी दबाव में हैं, कई शहरों में खून की भारी कमी हो गई है। बुजुर्गों में मौतों की संख्या बढ़ रही है और मुर्दाघर, कब्रिस्तान लाशों से भरे हुए हैं। एक शब्द में कहें तो चीन इस ‘अराजकता’ के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं था। उन्होंने लिखा, ‘मैं आपके साथ अपने दोस्त के भयावह और दुखद अनुभव को साझा करना चाहता हूं जब सोमवार को बीजिंग में उसने अपने पिता को बिना किसी इलाज के बेबसी में मरते देखा।’
चीन में इमरजेंसी हॉटलाइन ठप
उन्होंने लिखा, ‘सोमवर (19 दिसंबर) दोपहर को मेरे दोस्त के 84 साल के पिता की तबियत खराब होने लगी जिन्हें पहले स्ट्रोक आ चुका था। मेरा दोस्त हैनान में एक बिजनेस ट्रिप पर था। वह आनन-फानन में फ्लाइट पकड़ कर वापस आ रहा था और 120 इमरजेंसी हॉटलाइन पर लगातार फोन कर रहा था जो ज्यादा डिमांड होने की वजह से स्थायी रूप से बंद पड़ चुकी थी। रात 10 बजे उसकी मां ने एक एंबुलेंस बुलाई जिसमें चार आपातकर्मी भी थे। वे उसके पिता को गाड़ी में लेकर डोंगफैंग अस्पताल के लिए रवाना हो गए।’
घंटों एंबुलेंस में इंतजार करते रहा मरीज
वांग ने बताया, ‘मेरे दोस्त के घर और अस्पताल के बीच की सीधी दूरी 600 मीटर है। करीब आधी रात को जब मेरा दोस्त बीजिंग में उतरा और अस्पताल पहुंचा तो वह देखकर हैरान हो गया कि उसके पिता दो घंटे से अस्पताल के गेट के सामने खड़ी एंबुलेंस में ही थे। उसे बताया गया कि अस्पताल में आईसीयू बेड और ऑक्सीजन टैंक खत्म हो गए हैं। उसके पिता एंबुलेंस में लगे ऑक्सीजन टैंक के बदौलत जिंदा थे।’
बेड मिलने के बाद सिर्फ 15 मिनट में हुई मौत
उन्होंने लिखा, ‘और एक घंटा इंतजार करने के बाद एक आपातकर्मी ने मेरे दोस्त को बताया कि वे अब और इंतजार नहीं कर सकते क्योंकि उसके पिता अपने होश खोने लगे थे। उन्होंने उसके पिता को आईसीयू में ले जाने का फैसला किया। एक वीडियो में एक आपातकर्मी को एक आईसीयू डॉक्टर से कहते सुना जा सकता है कि यह आदमी मर रहा है, अब और इंतजार नहीं किया जा सकता। आखिरकार उन्हें आईसीयू में बेड मिल गया लेकिन सिर्फ 15 मिनट के बाद ही उनकी मौत हो गई।’
बीजिंग में हर अस्पताल का यही हाल
वांग ने अपने लेख में बताया कि डॉक्टर ने डेथ सर्टिफिकेट पर मौत के कारण में कार्डियक डेथ लिखा। उन्होंने लिखा कि मेरा दोस्त अपनी पड़ोसियों, अधिकारियों और बाकी दोस्तों से मदद इसलिए नहीं मांग सका क्योंकि ज्यादातर लोग खुद संक्रमित हैं और होम आइसोलेशन में हैं। गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को ले जाने के लिए पेशेवर विशेषज्ञों की जरूरत होती है। उसके पिता को दूसरे अस्पताल ले जाने का भी सवाल नहीं उठता क्योंकि बीजिंग के हर अस्पताल का लगभग यही हाल है।