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CWG 2010: सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ नहीं मिले सबूत, ED ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट – India TV Hindi

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CWG 2010: सुरेश कलमाड़ी के खिलाफ नहीं मिले सबूत, ED ने दाखिल की क्लोजर रिपोर्ट  – India TV Hindi

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suresh kalmadi
Image Source : FILE PHOTO
सुरेश कलमाड़ी

साल 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजन से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ED की क्लोजर रिपोर्ट को रॉउज एवन्यू कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस फैसले से 13 साल पुराने इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का अंत हो गया है। कोर्ट ने पूर्व कॉमनवेल्थ गेम्स आयोजन समिति (OC) के प्रमुख सुरेश कलमाड़ी, महासचिव ललित भनोत और अन्य आरोपियों के खिलाफ दायर की गई मनी लॉन्ड्रिंग की जांच को समाप्त कर दिया।

सालों से चल रही जांच बंद

कोर्ट ने यह निर्णय लिया कि जांच के दौरान मनी लॉन्ड्रिंग का कोई अपराध साबित नहीं हुआ और इस कारण से ED द्वारा दायर की गई समापन रिपोर्ट को स्वीकार किया।

स्पेशल जज संजीव अग्रवाल ने कहा कि सीबीआई पहले ही भ्रष्टाचार के मामले में आरोपियों को बरी कर चुकी है, जिसके आधार पर ED ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू की थी। कोर्ट ने ED के इस तर्क को स्वीकार किया कि मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध की कोई पुष्टि नहीं हुई है और इसलिए मामले को आगे बढ़ाने का कोई कारण नहीं है।

CBI ने क्या आरोप लगाया था?

सीबीआई ने आरोप लगाया था कि कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए दो महत्वपूर्ण अनुबंधों के अवैध आवंटन से आयोजन समिति को 30 करोड़ का नुकसान हुआ था। हालांकि, सीबीआई ने जनवरी 2014 में इस मामले में समापन रिपोर्ट दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि कोई भी आपत्तिजनक साक्ष्य सामने नहीं आए और आरोपों को साबित नहीं किया जा सका।

CBI ने दर्ज की थी 19 FIR

बता दें कि राष्ट्रमंडल खेल (CWG) 3 से 14 अक्टूबर 2010 तक दिल्ली में आयोजित हुए थे। लेकिन इसके आयोजन से पहले ही CWG के मुख्य स्थल जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम के पास नवनिर्मित पैदल यात्री पुल के ढहने की खबर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियों में आ गई थी। इस आयोजन ने दिल्ली की सूरत बदल दी थी, लेकिन शीला दीक्षित के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार को सत्ता से बेदखल कर दिया था। शहर के सौंदर्यीकरण और खेल प्रबंधन का हर पहलू, स्ट्रीट लाइटिंग को बेहतर बनाने से लेकर स्टेडियमों के जीर्णोद्धार तक, कुप्रबंधन और अनियमितताओं के आरोपों से घिरा हुआ था। सीबीआई ने कम से कम 19 एफआईआर दर्ज की थीं। लेकिन पिछले 15 सालों में किसी भी मामले में ‘घोटाले’ की जिम्मेदारी तय नहीं हो पाई।

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