Tuesday, September 3, 2024
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Earthquake: हिमाचल में एक साल में 50 बार डोली धरती, 100 साल में 1300 बार आया भूकंप


हाइलाइट्स

हिमाचल में चंबा-कांगड़ा और किन्नौर सहित शिमला जिला में अधिक भूकंप आते हैं.
वर्ष 1905 में आए विनाशकारी भूकंप की भयावह यादें अब भी दहशत पैदा कर देती हैं.

राजेंद्र शर्मा

शिमला. हिमाचल प्रदेश में भूकंप (Earthquake) के लिहाज से बेहद संवेदनशील जोन में आता है. पिछली सदी में वर्ष 1905 में आए विनाशकारी भूकंप की भयावह यादें अब भी दहशत पैदा कर देती हैं. पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश के लोग अक्सर भूकंप के डर से सहमे रहते हैं. भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील पांचवें जोन में पड़ने वाले हिमाचल (Himachal Pradesh) में 2022 में 50 से अधिक छोटे बड़े भूकंप आ चुके हैं. उससे पहले भी 2021 के आखिरी महीनों में ही अक्तूबर और नवंबर में छह बार भूकंप आ चुका है.

पहाड़ी राज्य होने के कारण बड़ा भूकंप हिमाचल के लिए विनाशकारी सिद्ध होगा. लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि जागरूकता और सतर्कता से भूकंप के दौरान नुकसान को न्यूनतम किया जा सकता है.  विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक खतरे वाले इलाकों में भूकंप रोधी मकान बनाने को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए. साथ ही नियमित अंतराल पर सरकारी और स्वयंसेवी संस्थाओं को स्कूलों व पंचायतों में जागरूकता शिविर आयोजित किए जाने चाहिए. राज्य सरकार के अधिकारियों के अनुसार सभी जिलों को समय-समय पर मॉक ड्रिल आयोजित करने के निर्देश हैं. कई स्वयं सेवी संस्थाएं निजी तौर पर जागरूकता शिविर आयोजित करती हैं, जिन्हें सरकार हर संभव सहायता प्रदान करती है.

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लंब समय से आ रहे भूकंप, पर नहीं हुआ नुकसान

हिमाचल के लिए यह राहत की बात है कि लंबे समय से किसी भूकंप में जानमाल की कोई क्षति नहीं हुई है. विशेषज्ञ यह भी मानते हैं कि यदि नियमित अंतराल पर कम तीव्रता के भूकंप आते रहें तो किसी बड़े भूकंप के आने के आसार कम भी हो सकते हैं. कई बार आम जनता के बीच चर्चा रही है कि 1905 में आए भूकंप के पुनरावृत्ति हो सकती है. इसे सौ साल के अंतराल के बाद संभावित माना जा रहा था, लेकिन सौभाग्य से हिमाचल ऐसी आपदा से सुरक्षित है. हिमाचल जैसे राज्य में सरकार का रोल अधिक अहम है. भूकंप रोधी मकान बनाने का प्रशिक्षण पंचायत स्तर पर दिया जाना चाहिए. भूकंप आने पर खुद का बचाव करने के उपाय संबंधी पंफलेट भी सर्कुलेट किए जाने चाहिए.

चार जिलों में सबसे अधिक बार डोली धरती

हिमाचल में चंबा-कांगड़ा और किन्नौर सहित शिमला जिला में अपेक्षाकृत अधिक भूकंप आते हैं. यह देखने में आया है कि एक दशक में बड़ी तीव्रता का कोई भूचाल नहीं आया है. परंतु हिमाचल को हमेशा सतर्क रहने की जरूरत है. वर्ष 2021 में साल के शुरुआत में ही चंबा जिला ने भूचाल महसूस किया. जिला में 6 जनवरी को चंबा में 3.2 तीव्रता का भूकंप आया था. इसी दौरान जनवरी महीने में ही एक रात में मंडी, कांगड़ा, कुल्लू और बिलासपुर में तीन बार भूडोल हुआ. फरवरी महीने में 13 तारीख को शिमला में भूकंप आया. इसी तरह अप्रैल महीने में 5 और 16 तारीख को चंबा और लाहौल स्पीति में धरती के भीतर हलचल से दहशत फैल गई. मंडी में पिछली साल 22 अप्रैल को भी भूकंप आया था. मई महीने में 8 तारीख को धर्मशाला में भूकंप आया. चूंकि हिमाचल प्रदेश एक हिमालयी राज्य है, लिहाजा हिमालयन रेंज में किसी भी जगह आए बड़े भूकंप का असर यहां हिमाचल में देखने को मिलेगा.

मंडी में लगा काफी बड़ा झटका

उदाहरण के लिए 2022 फरवरी महीने में नॉर्थ इंडिया में रात के समय भूकंप के भारी झटके महसूस किए गए. उस समय इसका प्रथम केंद्र तजाकिस्तान और दूसरा केंद्र पंजाब का अमृतसर इलाका था. यह भूकंप इतना भारी था कि इसके झटके हिमाचल के हमीरपुर, सोलन, सिरमौर, ऊना, कांगड़ा कुल्लू, चंबा और बिलासपुर जिलों में भी महसूस किए गए. मार्च महीने में तो तीन दिन में तीन बार प्राकृतिक आपदा के झटके आए. किन्नौर व चंबा में कम तीव्रता के झटके आये.  नवंबर महीने में 24 घंटे के अंदर चार भूकंप आ गए इस बार लोग अधिक डरे हुए हैं. क्योंकि मंडी जिला में आया झटका काफी बड़ा रहा है.

धर्मशाला में हिली धरती तो मनाली में दहशत

वर्ष 2020 में भी कई बार धरती कांपती रही. उससे पहले 20 दिसंबर 2019 को अफगानिस्तान के हिंदुकुश रीजन में भूकंप का केंद्र था. जिसका असर कुल्लू, ऊना और कांगड़ा में भी दिखाई दिया. 2022 में 9 जनवरी को कांगड़ा की करेरी झील में भूकंप का केंद्र बना तो उसके झटके मनाली में भी महसूस किए गए. ऐसे में यह स्पष्ट होता है कि हिमाचल में थोड़े-थोड़े अंतराल के बाद हल्के झटके आ रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में आरंभ से ही भूकंप का खतरा रहा है.  यदि एक दशक के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो पिछले दशक में 2006 से 2016 तक 10 साल की अवधि में पहाड़ी प्रदेश हिमाचल में कुल 75 भूकंप आये. चम्बा और लाहौल स्पीति में सबसे अधिक बार धरती डोली इन 75 भूकंपों में से 40 की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 4 से कम रही. इस दौरान 60 बार हिमाचल में भूकंप का केंद्र रहा है जबकि पंद्रह बार नेपाल, जम्मू-कश्मीर, पाकिस्तान और अफगानिस्तान में भूकंप का केंद्र होने से हिमाचल में झटके महसूस किए गए हैं. बीते दस साल में हिमाचल में आए भूकंपों में 42 प्रतिशत का केंद्र जिला चंबा और चंबा की जम्मू-कश्मीर के साथ लगती सीमा रही है.

जम्मू-कश्मीर से लगती सीमा 23 प्रतिशत बार भूकंप का केंद्र

हिमाचल में दो जनजातीय जिले हैं. लाहौल स्पीति और किन्नौर के अलावा चंबा का कुछ इलाका भी जनजातीय है. हिमाचल की सीमा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड और दूसरी तरफ जम्मू कश्मीर से लगती है. विशेषज्ञों का आकलन देखें तो लाहौल स्पीति जिला और जम्मू-कश्मीर से लगती सीमा 23 प्रतिशत बार भूकंप का केंद्र रही है. कांगड़ा (आठ प्रतिशत), किन्नौर (पांच प्रतिशत), मंडी (छह प्रतिशत), शिमला (छह प्रतिशत) और सोलन (दो प्रतिशत) भी भूकंप का केंद्र रहा है. हिमाचल के पास भूकंप की बेहद दुखदाई यादें हैं. पिछली सदी में 4 अप्रैल 1905 को कांगड़ा में 7.8 तीव्रता का भूकंप आया जिसमें 20 हजार से अधिक लोगों की जान गई. वर्ष 1906 में 28 फरवरी को कुल्लू में 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था. जिस प्रकार कांगड़ा में 1905 में भूकंप आया था अगर आज के समय में यह भूकंप आता है तो क्षति 50 गुना बढ़ जाएगी.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

प्रिंसिपल साइंटिफिक ऑफिसर एसएस रंधावा का कहना है कि आपदा प्रबंधन नियमों के तहत भवन निर्माण करना चाहिए. इसके अलावा जब भी भूकंप आये तो एकदम खुले में चले जाएं. रात को सोते समय पानी और टॉर्च अपने आसपास रखनी चाहिए. भूकंप आने पर सबसे पहले खुद का बचाव करें. रात के समय आने वाले भूकंप अधिक कष्टकारी होते हैं. रात में राहत और बचाव कार्यों में दिक्कत आती है. आपदा की स्थिति में सबसे पहले जिला प्रशासन की मशीनरी का प्रशिक्षित होना सबसे जरूरी है. उनका कहना है कि शिमला और सोलन जैसे शहरों में अवैज्ञानिक तथा बेतरतीब निर्माण भयावह स्थितियां पैदा कर रहा है. दुर्भाग्यवश यदि बड़ी तीव्रता का भूकंप आए तो राहत और बचाव कार्य में बहुत दिक्कत पेश आएगी.

पिछले 100 साल 1300 बार कांपी हिमाचल की धरती

अगर पिछले 100 वर्षों की बात करें तो हिमाचल की धरती ने करीब 13 सो बार भूकंप झेला. इनमें से 141 झटकों की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 3 से 3.9 थी, 22 झटके 4 से 4.9 तीव्रता वाले और 43 झटके 5 से 5.9 तक की तीव्रता वाले थे, इतना ही नहीं विनाशकारी माने जाने वाले 6 से 6.9 सात झटके भी हिमाचल की धरती ने झेले. इससे भी बढ़कर भूकंप का एक झटके की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 8 मापी गई.जोकि कांगड़ा जिला में 1905 में आया था.

Tags: Earthquake, Earthquake News, Himachal pradesh, Mandi news, Shimla News



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