Home Life Style Eating Less Benefits: जितना कम खाएंगे, उतना ज्यादा जिएंगे ! आखिर क्या है वजह? जानकर चौंक जाएंगे

Eating Less Benefits: जितना कम खाएंगे, उतना ज्यादा जिएंगे ! आखिर क्या है वजह? जानकर चौंक जाएंगे

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Eating Less Benefits: जितना कम खाएंगे, उतना ज्यादा जिएंगे ! आखिर क्या है वजह? जानकर चौंक जाएंगे

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Health Tips: कई लोग खाने के शौकीन होते हैं और उन्हें हर वक्त नई-नई चीजें ट्राई करने का मन करता है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं, जो खान-पान में ज्यादा दिलचस्पी नहीं रखते हैं और बेहद कम चीजें खाते हैं. क्या आप जानते हैं कि कम खाना सेहत के लिए फायदेमंद होता है. जी हां, सुनकर हैरान हो रहे होंगे, लेकिन यह बात कई रिसर्च में साबित हो चुकी है. आप कम खाएं, लेकिन हेल्दी खाएं. अगर यह फॉर्मूला अपना लिया, तो लंबी उम्र तक निरोगी रहेंगे और जिंदगी का पूरा आनंद ले पाएंगे.

आयुर्वेद और मेडिकल साइंस दोनों में माना जाता है कि हेल्दी और कम खाना खाने से लोगों की उम्र लंबी हो सकती है. कई रिसर्च में पाया गया है कि कैलोरी रेस्ट्रिक्शन यानी शरीर को जरूरत से ज्यादा एनर्जी न देना, उम्र बढ़ाने में मदद कर सकता है. अमेरिका में किए गए एक अध्ययन में यह सामने आया कि जिन लोगों ने अपने रोज के कैलोरी इनटेक को 10-15% तक घटाया, उनकी न केवल उम्र बढ़ी, बल्कि हार्ट डिजीज, डायबिटीज और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी कम हुआ. जब शरीर पर खाने को पचाने का अतिरिक्त दबाव नहीं होता, तो वह एनर्जी को रिपेयर और डिटॉक्स प्रक्रियाओं में लगा देता है, जिससे सेल्स ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं. इससे लोगों की उम्र बढ़ जाती है.

प्राचीन भारतीय चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद में भी मिताहार को उत्तम स्वास्थ्य का स्तंभ माना गया है. मिताहार यानी जरूरत से कम लेकिन पोषणयुक्त भोजन करना. आयुर्वेद के अनुसार अगर व्यक्ति अपनी भूख से थोड़ा कम खाए, तो उसका पाचन तंत्र सुचारु रहता है और अमृत समान अग्नि लंबे समय तक जीवित रहती है. आयुर्वेदिक ग्रंथों में कहा गया है – “अति सर्वत्र वर्जयेत्” यानी हर चीज की अति हानिकारक होती है, चाहे वह खाना ही क्यों न हो.

जब आप ज्यादा खाते हैं, तो पाचन तंत्र पर बोझ बढ़ता है. इससे गैस, अपच, एसिडिटी जैसी पेट से जुड़ी समस्याएं पैदा हो जाती हैं. जब आप संतुलित मात्रा में भोजन करते हैं, तो खाना आसानी से पचता है और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व बेहतर तरीके से मिलते हैं. इससे न केवल आप हल्का महसूस करते हैं, बल्कि आपकी त्वचा, नींद और मूड भी बेहतर रहता है. ज्यादा खाना खाने से शरीर में इंसुलिन रेसिस्टेंस बढ़ता है, जो टाइप-2 डायबिटीज की वजह बनता है. कम खाने से इंसुलिन की कार्यक्षमता बेहतर होती है और ब्लड शुगर नियंत्रित रहता है. यह मोटापा कम करने और फैट जमा होने से रोकने में भी मदद करता है.

बहुत अधिक खाने से शरीर सुस्त हो जाता है, जिससे आलस्य और थकावट महसूस होती है. लेकिन जब आप जरूरत भर खाना खाते हैं, तो शरीर ऊर्जा से भरपूर रहता है. इससे मानसिक स्पष्टता, एकाग्रता और कार्य क्षमता में सुधार होता है. यही कारण है कि कई संन्यासी, साधु और ध्यान करने वाले व्यक्ति दिन में एक बार ही भोजन करते हैं और फिर भी अत्यंत सक्रिय रहते हैं. हालांकि कम खाना का मतलब यह नहीं है कि आप खुद को भूखा रखें. इसका सही तरीका है- धीरे-धीरे प्लेट की मात्रा कम करना, भूख से थोड़ा पहले रुकना और ज्यादा चबा-चबाकर खाना. अपनी डाइट में फाइबर, प्रोटीन और मिनरल्स का ध्यान रखें ताकि कम भोजन में भी शरीर को जरूरी पोषण मिल सके. दिन में दो बार भोजन करना या सप्ताह में एक दिन उपवास रखना भी लाभकारी है.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. Hindi news18 इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से संपर्क करें.)

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