Home World Egypt Economic Crisis: क्या आधा किलो चावल से भर सकता है पूरे परिवार का पेट? बदहाल मिस्र में लोग खरीद रहे 500 ग्राम राशन

Egypt Economic Crisis: क्या आधा किलो चावल से भर सकता है पूरे परिवार का पेट? बदहाल मिस्र में लोग खरीद रहे 500 ग्राम राशन

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Egypt Economic Crisis: क्या आधा किलो चावल से भर सकता है पूरे परिवार का पेट? बदहाल मिस्र में लोग खरीद रहे 500 ग्राम राशन

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काहिरा : आर्थिक मंदी के सबसे बुरे दौर से गुजर रहे मिस्र की मुद्रा लगातार गिर रही है। इसका सीधा असर वहां की अवाम पर पड़ रहा है। कमर तोड़ महंगाई की वजह से लोगों का खाने-पीने की चीजें खरीदना मुश्किल हो गया है। राजधानी काहिरा के निकट शौबरा के एक अकाउंटेंट और तीन बच्चों के पिता 40 वर्षीय अहमद हसन ने कहा कि तीन किग्रा चावल खरीदने के बजाय जब हम शॉपिंग पर जाते हैं तो सिर्फ एक या आधा किग्रा चावल खरीदते हैं। उन्होंने कहा कि हम अपने खर्चों को कम करने की कोशिश कर रहे हैं। अफसोस, हम हर चीज को सीमित नहीं कर सकते क्योंकि हमारे बच्चों को कुछ चीजों की जरूरत होती है।

न्यूज वेबसाइट DW की रिपोर्ट में इसकी जानकारी दी गई है। सोचने वाली बात यह है कि आधा किग्रा चावल चार-पांच लोगों के परिवार का पेट कितने दिनों तक भर सकता है। अक्टूबर के अंत से मिस्र की मुद्रा का मूल्य करीब एक तिहाई गिर गया है। देश में वर्तमान महंगाई दर 20 फीसदी से ज्यादा है। कुछ अर्थशास्त्रियों को संदेह है कि स्थिति इससे भी बदतर है। वह अनौपचारिक दर को 101 फीसदी तक उच्च दिखाते हैं। खाने-पीने की चीजों के दाम दोगुने हो गए हैं और सैलरी आधी हो गई है। बैंकों ने खातों से निकाली जाने वाली नकदी को सीमित कर दिया है।

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मिस्र में लेबनान और पाकिस्तान जैसे हालात

मिस्र में वर्तमान में लोग जिस आर्थिक गिरावट का अनुभव कर रहे हैं, वह 2019 के बाद से लेबनान के विनाशकारी संकट के समान है। मिस्र की हालत पाकिस्तान से भी बदतर हो चुकी है जहां अवाम कमरतोड़ महंगाई के अलावा आटे-दाल की किल्लत की सामना कर रही है। रिपोर्ट के अनुसार, मिस्र की वर्तमान आर्थिक मुश्किलों के कई आंतरिक कारण हैं, जिनमें राजनीतिक, अशांति, भ्रष्टाचार और सरकारी कुप्रबंधन शामिल हैं।

पहले कोरोना फिर युद्ध ने तोड़ी कमर

मिस्र की हालत खराब करने में पहले कोरोना वायरस और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध ने बड़ी भूमिका निभाई। महामारी ने देश के पर्यटन को पूरी तरह खत्म कर दिया जिससे सबसे ज्यादा कमाई होती थी। इसके बाद पिछले साल रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हो गया जिसने बड़े पैमाने पर गेहूं और तमाम चीजों की सप्लाई चेन को तोड़ दिया। मिस्र एक मुस्लिम देश है लेकिन कोई भी इस्लामिक राष्ट्र उसकी मदद नहीं कर रहा है। ऐसे में भारत उसे लगातार गेहूं पहुंचा रहा है और मदद का हाथ बढ़ा रहा है।

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