Saturday, May 3, 2025
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Electric Car खरीदते समय रेंज बताई 350 किमी., जब चलाई तो निकली 275, जानिए ऐसा क्यों


हाइलाइट्स

इलेक्ट्रिक कार की क्लेम्ड रेंज टेस्टिंग कंडिशंस में ली जाती है.
जब सामान्य परिस्थितियों में गाड़ी को चलाया जाता है तो इसकी रेंज कम आती है.
इलेक्ट्रिक कार की क्लेम्ड रेंज और एक्चुअल रेंज में 25 प्रतिशत तक का फर्क आता है.

नई दिल्ली. भविष्य की टेक्नोलॉजी को अपनाने और पेट्रोल डीजल की बढ़ती कीमतों को देखते हुए इन दिनों लोगों का रुझान इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की ओर बढ़ गया है. खासकर इलेक्ट्रिक कारों (Electric Car) की बिक्री में पिछले दो साल में बड़ा उछाल आया है. लोगों ने इन इलेक्ट्रिक कारों को पसंद किया है साथ ही इनके लो मेंटेनेंस और रनिंग कॉस्ट ने इन्हें एक अलग मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया है. लेकिन इलेक्ट्रिक कारों के साथ जो लोगों को सबसे बड़ी समस्या का सामना करना पड़ रहा है वो है इनकी चार्जिंग.

चार्जिंग स्टेशंस (Charging Station) का कम होना और नॉर्मल कंडीशंस में इन्हें चार्ज करने में लगने वाले समय ने लोगों को थोड़ी समस्या जरूर दी है. इसी से जुड़ी एक और समस्या जिससे लोग इलेक्ट्रिक कार खरीदने के बाद रूबरू होते हैं वो है इनकी रेंज. दरअसल जब भी हम इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने जाते हैं तो इन्हें इनकी ज्यादा रेंज बताकर ही बेचा जाता है और लोग वही प्रायोरिटी पर लेकर इन्हें खरीदते भी हैं. लेकिन जो रेंज कंपनी दावा करती है और जो नॉर्मल कंडीशंस में गाड़ी को चलाने के बाद आती है उसमें जमीन आसमान का फर्क होता है. आइये जानते हैं ऐसा क्यों है और इलेक्ट्रिक कार खरीदने से पहले आपको उनकी रेंज कैसे कैलकुलेट करनी है.

कम मिलती है रेंज….ऐसा क्यों
इलेक्ट्रिक कारों की जिस रेंज का दावा किया जाता है वो एक्चुअल रनिंग कंडिशंस में टेस्ट नहीं की जाती है. वो रेंज टेस्टिंग कंडीशंस में होती है, जहां पर ट्रैफिक, रोड ब्लॉक्स, खराब सड़कें या रेड लाइट्स जैसे हर्डल्स नहीं होते हैं. साथ ही रनिंग एसी या फिर किसी एक्‍स्ट्रा इलेक्ट्रिक फिटमेंट के साथ टेस्टिंग की रेंज ये नहीं होती है. ऐसे में बैटरी की पावर बिल्कुल बर्बाद नहीं होती है और ये पूरी तरह से व्हीकल को रन करने के काम में आती है. इसलिए टेस्टिंग रेंज हमेशा ज्यादा होती है.

कैसे करें एक्चुअल रेंज कैलकुलेट
इलेक्ट्रिक व्हीकल खरीदने के दौरान एक्चुअल रेंज कैलकुलेट करने का एक आसान तरीका है कि जो भी टेस्टिंग रेंज बताई जा रही है उसमें से आप उसका 25 प्रतिशत कम कर लीजिए. उदाहरण के लिए यदि किसी गाड़ी की टेस्टिंग रेंज 300 किमी. दी गई है तो आप उसमें से 75 किमी. घटा दीजिए. ऐसे में ‌जिस इलेक्ट्रिक कार की टेस्टिंग रेंज 300 किमी. है वो सामान्य परिस्थितियों में 225 से 230 किमी. ही चलेगी.

ये भी पढ़ेंः अगले महीने लॉन्च होगी सस्ती इलेक्ट्रिक कार, टाटा टियागो से ज्यादा होगी रेंज

कैसे बढ़ाएं रेंज
रेंज बढ़ाने के कुछ आसान तरीके भी हैं. जिनको फॉलो कर आप रेंज को बढ़ा सकते हैं. इलेक्ट्रिक कार में कभी भी कंपनी की ओर से दी गई इलेक्ट्रिक एक्सेससरीज के अलावा आफ्टर मार्केट कुछ भी फिट न करवाएं. बैटरी को हमेशा 90 प्रतिशत के आसपास चार्ज रखें. इसके साथ ही जरूरत न होने पर एसी या फैन का प्रयोग न करें. इलेक्ट्रिक व्हीकल की जितनी वेट कैपेसिटी है उससे ज्यादा पर न चलाएं इससे मोटर पर लोड आता है और ज्यादा इलेक्ट्रिसिटी कंज्यूम होती है. गाड़ी में अनावश्यक सामान को न ढोएं.

Tags: Auto News, Car Bike News, Electric Car, Electric vehicle



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