Thursday, March 13, 2025
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Embro Transfer Technology: राजस्थान में पशुपालक अब पा सकेंगे मनचाहा पशुधन, जानें इसके फायदे


हाइलाइट्स

एम्ब्रो ट्रांसफर तकनीकी के लिए उत्तराखंड या महाराष्ट्र जाने से मुक्ति मिलेगी
उच्च नस्ल के पशुधन से पशुपालकों के साथ-साथ ग्रामीण अर्थ व्यवस्था भी मजबूत होगी

जयपुर. राजस्थान के पशुपालकों (Ranchers) के लिए नया साल पर बड़ी खुशखबरी लेकर आया है. अब राजस्थान में विकसित देशों की तर्ज पर उन्नत किस्म का पशुधन तैयार किया जा सकेगा. राजस्थान में पहली बार राज्य सरकार (State Government) द्वारा एम्ब्रो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी (Embro Transfer Technology) के इस्तेमाल से पशुपालकों को बेहतर गुणवत्ता वाले पशुधन पैदा करने की कवायद शुरू की जा रही है. पशुपालकों और किसानों को इस टेक्नोलॉजी के जरिए घर बैठे ही मामूली लागत में मनचाहा और उत्तम गुणवत्ता का बेहतर दूध देने वाला पशुधन प्राप्त करने का सपना पूरा हो सकेगा.

राज्य सरकार द्वारा प्रदेश में पहली बार एम्ब्रो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी से पशुधन पैदा करने की तकनीक को अपनाया गया है. पशुपालन विभाग द्वारा राजूवास, राष्ट्रीय डेयरी डवलपमेंट बोर्ड और राजस्थान कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन के सहयोग से पंद्रह जनवरी को एम्ब्रो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी पाली जिले में शुरू की जा रही है. राजूवास, एनडीडीबी और आरसीडीएफ पाली जिले में दो दर्जन से ज्यादा पशुओं में ईटीटी तकनीक की शुरूआत कर रहे हैं.

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उत्तराखंड में अधिकारी ले रहे हैं प्रशिक्षण
राजस्थान के पशुपालन विभाग के अधिकारी इस तकनीक के अध्ययन के लिए उत्तराखंड सहित अन्य जगहों पर प्रशिक्षण ले रहे हैं. राजस्थान राज्य पशुधन विकास बोर्ड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर डॉ.नरेन्द्र मोहन सिंह का कहना है की राजस्थान में जनवरी 2023 में एम्ब्रो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी शुरू की जा रही है. देसी गायों से ज्यादा दूध देने वाली उच्च गुणवत्ता की गायों की नस्लें उपलब्ध कराने के लिए ETT की मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट भाषण में घोषणा की थी.

पशुपालक अपनी पसंद का पशुधन ले सकेंगे
एम्ब्रो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी से प्रदेश में पशुपालकों के लिए उनकी पसंद की गिर गाय, थारपारकर गाय, कांकरेज गाय, राठी गाय, मालवी गाय, मेवाती गाय, नागौरी गाय या हॉलिस्टन गाय अपने ही पशुधन से हासिल कर सकेंगे. इस टेक्नोलॉजी में खास बात ये है की इसमें गायों में कृत्रिम भ्रूण आरोपित किया जाता है. देशी गायों से उच्च किस्म वाली संतान पैदा करने के लिए देसी नर प्रजाति के सीमन का ही उपयोग किया जाता है. पशु चिकित्सकों द्वारा नर प्रजाति के सीमन से उच्च नस्ल की गायों के अंडाणु का निषेचन कर भ्रूण स्थापित किया जाता है.

पशुधन से चार-पांच गुना अधिक दूध मिलेगा
एम्ब्रो ट्रांसफर टेक्नोलॉजी में पशुपालकों को पशुधन की संतति में नर या मादा बच्चा चुनने का अवसर भी मिलेगा. यहीं नहीं इस तकनीकी से पैदा होने वाले उच्च नस्ल के पशुधन से चार से पांच गुना तक अधिक दूध की प्राप्ति की जा सकेगी. इसके लिए राजस्थान सरकार द्वारा उच्च स्तरीय लैब की स्थापना कर नर प्रजाति के सीमन का स्टोर किया जाएगा, साथ ही इस लैब में अलग-अलग नस्ल की गायों के अंडाणु को भी स्टोर किया जा सकेगा. लैब में नर प्रजाति के सीमन एवं मादा प्रजाति के अंडाणु को निश्चित तापमान पर एक साल तक सुरक्षित रखने की क्षमता होगी.

सुविधा घर बैठे ही उपलब्ध कराई जाएगी
पशुपालकों को घर बैठे ही इस सुविधा को पहुंचाने की कवायद की जा रही है. पशुपालन विभाग द्वारा पशुपालकों को स्प्रे मशीन एवं इंजेक्ट सिस्टम द्वारा ये सुविधा घर बैठे ही उपलब्ध कराई जाएगी. राज्य सरकार इस तकनीकी से मात्र पचास रुपए प्रति पशुधन के शुल्क हिसाब से इस तकनीकी को पशुपालकों तक पहुंचाने की तैयारी कर रही है.

Tags: Rajasthan news in hindi, Technology



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