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रुद्रनारायण राॅय/कोलकाता. छह हफ्ते से सूडान में युद्ध जैसे हालात के बीच भारतीयों के वहां से निकलने की खबरें लगातार सुर्खियां बटोरती रहीं. करीब दो हफ्ते पहले भारत ने ऑपरेशन कावेरी को यह दावा करते हुए संपन्न किया कि सभी हिंदोस्तानियों को सूडान से रेस्क्यू कर लिया गया. अब एक डरावने सपने जैसी कहानी सामने आ रही है, जो बताती है कि कैसे सूडान में फंसे भारतीयों की वापसी हो सकी. बंगाल के इस युवक ने आपबीती इस तरह सुनाई कि सूडान के संकट की तस्वीर साफ हुई.
‘हर तरफ दहशत थी. जगह-जगह हिंसा और हमले. बचने के लिए लोग इकट्ठे होकर कुछ सेफ जगहों पर रह रहे थे. हम खारतूम में एक होटल में शरण लिये थे. मेरे साथ और 49 भारतीय भी थे. लगातार भारतीय दूतावास से हम मदद मांग रहे थे. खारतूम के उस होटल तक मदद पहुंचती नहीं दिख रही थी इसलिए हमें वहां से 900 किलोमीटर दूर पोर्ट सूडान तक पहुंचना था.’
‘जब होटल में खाने-पीने की चीजों का स्टाॅक खत्म होने की कगार पर आ गया, तब वहां इंतजार करने का कोई अर्थ नहीं रह गया था. हमें पोर्ट सूडान पहुंचना ही था. फिर हमें जोखिम लेना था. हमने एक बस हायर की और उसके लिए 10 लाख रुपये की कीमत चुकाई. हर शख्स ने करीब 30 हजार रुपये खर्च किए. पोर्ट सूडान पहुंचने के लिए जान का खतरा सभी ने मोल लिया.’
अपने परिवार के साथ सुरजित डे.
‘हमारे पास कोई और रास्ता नहीं था. हम तमाम हमलों से किसी तरह बचते हुए पहुंचे और फिर हमें ऑपरेशन कावेरी के तहत भारतीय फ्लाइट मिली, जिसने हमें सउदी अरब के जेद्दा पहुंचाया और फिर वहां से दिल्ली पहुंचे.’
हफ्तों तक नहीं हो पाया परिवार से काॅंटैक्ट!
पेशे से साॅफ्टवेयर इंजीनियर और बंगाल के रहने वाले सुरजीत डे ने इस तरह दास्तां बयान करते हुए बताया कि शादी के कुछ ही दिनों बाद वह मार्च 2023 में ही सूडान गए थे. उनके परिवार ने कहा कि जैसे ही सूडान में सेना और रैपिड सिक्योरिटी फोर्स के बीच जंग छिड़ी तो हम अपने परिजनों से संपर्क तक नहीं कर पा रहे थे. सभी ने भारत के ऑपरेशन कावेरी का धन्यवाद दिया.
गौरतलब है कि सूडान में चल रहे सैन्य संघर्ष के चलते अब तक 400 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं. भारत ने अपने करीब 3500 नागरिकों का रेस्क्यू किया है और यूएन की एक रिपोर्ट के अनुसार अब तक वहां से करीब 10 लाख लोग विस्थापित हुए हैं. अब भी सूडान में हालात बदतर बने हुए हैं और आलम यह है कि एयर स्ट्राइक और धमाके हो रहे हैं.
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Tags: Operation Kaveri, Rescue operation, Sudan conflict
FIRST PUBLISHED : May 20, 2023, 14:31 IST
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