Home National EVM पर सवाल, सीट शेयरिंग और मोर्चे का नाम; बेंगलुरु की विपक्षी एकता मीटिंग का क्या-क्या एजेंडा

EVM पर सवाल, सीट शेयरिंग और मोर्चे का नाम; बेंगलुरु की विपक्षी एकता मीटिंग का क्या-क्या एजेंडा

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EVM पर सवाल, सीट शेयरिंग और मोर्चे का नाम; बेंगलुरु की विपक्षी एकता मीटिंग का क्या-क्या एजेंडा

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कांग्रेस, आरजेडी, जेडीयू, उद्धव ठाकरे की शिवसेना समेत दो दर्जन से ज्यादा विपक्षी दलों की आज से बेंगलुरु में मीटिंग होने वाली है। इस मीटिंग में राहुल गांधी, सोनिया गांधी मल्लिकार्जुन खड़गे, नीतीश कुमार, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव और जयंत चौधरी जैसे नेता मौजूद रहेंगे। यही नहीं शिवसेना से भी उद्धव और संजय राउत रहने वाले हैं। इस बीच संजय राउत ने बताया है कि इस मीटिंग का एजेंडा क्या रहने वाला है। उन्होंने सोमवार को बताया कि हम इस बैठक में सीट शेयरिंग पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा ईवीएम मशीनों से चुनाव पर क्या स्टैंड लिया जाए, इसे लेकर भी बात की जाएगी। 

संजय राउत ने बताया कि मीटिंग में हम गठबंधन के नाम को लेकर भी चर्चा करेंगे। कांग्रेस सुझाव दे सकती है कि उसने नेतृत्व वाले यूपीए यानी संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन के तहत ही यह एकता कर दी जाए। हालांकि ममता बनर्जी, तेजस्वी यादव और अखिलेश यादव जैसे नेता इसके खिलाफ हो सकते हैं। इस मीटिंग में आम आदमी पार्टी भी शामिल होगी, जिसकी मांग पर कांग्रेस ने दिल्ली वाले अध्यादेश के खिलाफ राज्यसभा में समर्थन देने की बात कही है। अब आम आदमी पार्टी भी विपक्षी एकता को लेकर उत्साहित दिख रही है।

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इस बीच जेडीएस ने विपक्षी एकता की मीटिंग से दूर रहने की बात कही है। कर्नाटक की ही पार्टी का यूं अलग रहना थोड़ा चिंता की बात है। एचडी कुमारस्वामी ने कहा कि हमें कोई भी आमंत्रण नहीं मिला है। एनडीए की मीटिंग हो या फिर विपक्षी एकता वाली, हमें कहीं से भी न्योता नहीं दिया गया है। इससे पहले पटना में विपक्ष की मीटिंग में कुल 15 दल आए थे, जबकि अब यह कुनबा बढ़ा है। उत्तर भारत में रालोद से लेकर दक्षिण की पार्टियां एमडीएमके और केडीएमके तक को न्योता भेजा गया है। 

NDA की मीटिंग में कौन-कौन आ रहा

गौरतलब है कि 18 जुलाई को ही दिल्ली में एनडीए ने भी एक मीटिंग बुलाई है। इस मीटिंग में कई दल हिस्सा ले सकते हैं, जो एनडीए का हिस्सा हैं या फिर भाजपा के साथ होने की कोशिश में हैं। ओमप्रकाश राजभर की पार्टी SBSP, अपना दल, एकनाथ शिंदे की सेना समेत कई अन्य पार्टियां इसमें रहने वाली हैं। भाजपा की कोशिश है कि इस मीटिंग में विपक्ष से ज्यादा ही शक्ति प्रदर्शन रहे ताकि अच्छा संदेश जाए। 

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