FasTag रिचार्ज करने के लिए ऑनलाइन मदद लेना एक शख्स को भारी पड़ गया और उसे करीब ढाई लाख रुपये का नुकसान हो गया। दरअसल, यह शख्स फास्टैग स्कैम का शिकार हो गया। एक रिपोर्ट के मुताबिक, नालासोपारा में एक व्यक्ति ने अपने फास्टैग अकाउंट को रिचार्ज करने की कोशिश में 2.4 लाख रुपये गंवा दिए। पीड़ित, जिसका नाम नहीं बताया गया है, ऑनलाइन फास्टैग के लिए कस्टमर केयर नंबर सर्च कर रहा था लेकिन उसे एक फेक नंबर मिला।
फ्री प्रेस जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, 17 जुलाई को 47 वर्षीय शख्स अपना फास्टैग अकाउंट रिजार्च कर रहा था, जब उसे रिचार्ज करने में समस्या हुई तो उसने सहायता लेने के लिए फास्टैग कस्टमर केयर का नंबर ऑनलाइन सर्च किया लेकिन इस दौरान उसे जो नंबर मिला वो फेक नंबर था, जिसे वो सही समझ बैठा। आगे क्या हुआ, आप भी पढ़िए और सतर्क रहिए….
शख्स ने कर दी थी यह गलती
शख्स ने जब उस नंबर पर कॉल किया और दूसरी ओर मौजूद व्यक्ति ने उन्हें अपने फोन पर एक रिमोट एक्सेस एप्लिकेशन डाउनलोड करने का निर्देश दिया। एप्लिकेशन डाउनलोड हो जाने के बाद, साइबर अपराधी पीड़ित के बैंक अकाउंट तक पहुंचने और 2.4 लाख रुपये अपने खाते में ट्रांसफर करने में कामयाब हो गए। जब जालसाज धोखा देने में कामयाब हो गए, तो उन्होंने तुरंत नंबर बंद कर दिया।
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शख्स को पता चला कि वो ठगी का शिकार हो गया है, तो मामले की गंभीरता को समझते हुए बिना समय गवाए उसने पुलिस में रिपोर्ट की। पुलिस ने आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी और बेईमानी से संपत्ति की डिलीवरी के लिए प्रेरित करने से संबंधित) और सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66 सी (पहचान की चोरी से संबंधित) के तहत मामला दर्ज किया है।
बता दें कि FASTag, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) द्वारा संचालित एक इलेक्ट्रॉनिक टोल-कलेक्टिंग सिस्टम है। FASTag को गाड़ियों की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है और यह रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) तकनीक पर काम करता है। इसे अपनी सुविधा अनुसार कभी भी रिचार्ज कर यूज कर सकते हैं, ठीक वैसे ही जैसे मोबाइल नंबर रिचार्ज किया जाता है।
कर्नाटक के शख्स न गवाए थए 1 लाख
मई में भी ऐसी ही एक घटना सामने आई थी, जिसमें कर्नाटक के ब्रह्मवारा में रहने वाले एक शख्स को जालसाजों ने करीब 1 लाख रुपये का चुना लगाया था। उन्होंने भी FASTag अकाउंट को रिचार्ज करने के लिए नेट पर हेल्पलाइन नंबर सर्च किया था। उन्हें जो नंबर मिला वो भी फेक था। कथित तौर पर फ्रांसिस पायस नाम का व्यक्ति अपने फोर व्हीलर से ब्रह्मवारा से मंगलुरु जा रहा था, जब वह हेजमाडी टोल प्लाजा के नजदीक पहुंचा, तब उसे याद आया कि टोल का भुगतान करने के लिए उसे अपना फास्टैग रिचार्ज करना होगा।
उन्हें पेटीएम फास्टैग एग्जीक्यूटिव होने का दिखावा करने वाले एक जालसाज के साथ वन-टाइम पासवर्ड (ओटीपी) शेयर कर दिया था। जालसाज ने मदद करने का वादा करते हुए उसे पहले तो अपने विश्वास में लिया और पायस से ओटीपी ले लिया और उसके बाद जालसाज ने उनके अकाउंट से 1 लाख रुपये निकाल लिए।
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