
हाइलाइट्स
अमेरिकी एनवायरमेंटल एजेंसी की स्टडी में खुलासा
मछलियों में कई गुना ज्यादा PFAS मिला
PFAS से हो सकती है कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी
नई दिल्ली: मांसाहारी लोग मछलियों (Fish) के बहुत शौकीन होते हैं. मछली में कई तरह के पोषक तत्व पाए जाते है. अपने दोस्तों के संग पार्टी से लेकर पिकनिक तक लोगों का पसंदीदा मांसाहार मछली होती है. लेकिन मछली खाने वालों को लेकर एक बुरी खबर आई है. हाल ही में एक रिसर्च में पाया गया है कि अब मछलियां भी जहरीली होने लगी हैं. न्यूज एजेंसी CNN के मुताबिक अमेरिकी एनवायरमेंटल एजेंसी के स्टडी में पाया गया कि अमेरिका की झीलों और नदियों का पानी इतना दूषित हो चुका है कि मछलियां भी अब जहरीली हो रही हैं.
स्टडी में पाया गया कि मछलियों में खतरनाक रूप में PFAS पाया जा रहा है. इसे पर-एंड-पोलिफ्लोरोअल्काइल-सब्सटेंस कहते हैं. जिसका उपयोग 1950 के दशक से व्यापक रूप से उत्पादों को नॉनस्टिक और दाग, पानी और ग्रीस की क्षति के लिए प्रतिरोधी बनाने के लिए किया जाता है. ये मानव निर्मित रसायन हैं. इनका उपयोग नॉनस्टिक कुकवेयर, दाग प्रतिरोधी कपड़े, सौंदर्य प्रसाधन आदि में किया जाता है. बहुत सारे अध्ययन में इसके खतरों के बारे में बताया गया है.
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हर जगह दिखी मौजूदगी
खतरे की बात ये है कि जो जल स्त्रोत कारखानों या प्रदूषण रहित क्षेत्रों से दूर हैं उसमें भी PFAS पाया गया है. इसे फॉरएवर केमिकल भी कहा जाता है, क्योंकि यह कभी खत्म नहीं होता. स्टडी में पाया गया कि PFAS, सार्वजनिक जल प्रणालियों और निजी कुओं के माध्यम से देश के पीने के पानी में रिस गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि रसायन अब मछली, शंख, पशुधन, डेयरी जानवरों के शरीर में जमा होते जा रहे हैं जिन्हें लोग खाते हैं. डेटा का विश्लेषण करने वाले गैर-लाभकारी पर्यावरणीय स्वास्थ्य संगठन, एनवायरनमेंटल वर्किंग ग्रुप के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक डेविड एंड्रयूज ने कहा कि मीठे पानी की मछलियों में पाए जाने वाले पीएफओएस का स्तर अक्सर प्रति ट्रिलियन 8,000 भागों से अधिक हो जाता है. जबकि EPA ने देश के पीने के पानी में के प्रति ट्रिलियन के केवल 70 भागों की अनुमति दी है.
इसलिए है खतरनाक
PFAS के संपर्क में आने से कई बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. इससे सीधा प्रभाव हार्मोनल क्षमता पर पड़ता है. इसके दुष्प्रभाव से बच्चों की विकासात्मक कमी, कोलेस्ट्रॉल के स्तर में वृद्धि और कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. मछली में मिलने वाला प्रमुख रसायन, पीएफओएस, और पेरफ्लुओरोक्टेनोइक एसिड, या पीएफओए, को “लॉन्ग-चेन” पीएफएएस के रूप में जाना जाता है, जिसे 8-कार्बन श्रृंखला से बनाया गया है. अमेरिकी नदी-झीलों में 3 साल से अधिक तक किए गए स्टडी में पाया गया कि जीव जंतुओं में ये केमिकल थोड़ा नहीं बल्कि बहुत ज्यादा मात्रा में है. जीव-जंतुओं में यह करीब 2400 गुना ज्यादा मिले हैं. बताया गया कि अगर आप सी फूड की एक सर्विंग भी खाएंगे तो यह महीनेभर बैक्टीरिया से भरा दूषित पानी पीने के बराबर है.
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Tags: America News, Fish, World news
FIRST PUBLISHED : January 23, 2023, 12:49 IST