Monday, July 8, 2024
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Good Girl Syndrome: एक ऐसी बीमारी जिसमें दूसरे के लिए अपनी हर खुशी कुर्बान कर देती हैं महिलाएं, पढ़ें खबर


New Delhi:

Good Girl Syndrome: “गुड गर्ल सिंड्रोम” एक मनोविज्ञानिक शब्द है जो आमतौर पर महिलाओं के लिए प्रयोग किया जाता है. दरअसल, यह महिलाओं को लगने वाली एक ऐसी बीमारी है, जिसमें वो अपने लिए नहीं बल्कि अपनो के लिए जीती हैं. यह एक ऐसा सिंड्रोम हैं, जिसमें महिलाएं दूसरों की खुशियों के लिए अपनी हर खुशी को कुर्बान करने को तैयार रहती हैं. ऐसी महिलाओं की पहचान भलेपन की वजह से होती है. इस सिंड्रोम से ग्रसित महिलाओं को स्वार्थ छू तक नहीं पाता और वो आखीर तक दूसरों के लिए ही जीती हैं. 

गुड गर्ल सिंड्रोम के कारण

समाजिक प्रभाव: कई महिलाएं समाज में अच्छी बनने के लिए प्रेसर महसूस करती हैं, जिसका परिणाम है कि वे अपने स्वार्थों और इच्छाओं को नजरअंदाज़ कर अन्यों की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखती हैं.

सेवाभाव: कई महिलाएं अपने आप को महसूस करती हैं कि उनकी सम्मान केवल दूसरों की सेवा करने के लिए होती है, जिससे वे अपने स्वार्थ को पूरा करने में संकोच करती हैं.

स्थानीय मान्यताओं का प्रभाव: कुछ स्थानीय मान्यताएँ और संस्कृति महिलाओं को सहानुभूति, संवाद और दया का प्रतीक बनाने का प्रेरणा देती हैं, जिससे वे अपने स्वार्थ को पूरा करने में शक्ति महसूस करती हैं.

ये कारण एक से अधिक हो सकते हैं और हर महिला की स्थिति अलग हो सकती है, लेकिन सामान्यत: गुड गर्ल सिंड्रोम का अनुभव करने वाली महिलाओं की स्वार्थ को पूरा करने में संकोच होता है.

“गुड गर्ल सिंड्रोम” के कुछ लक्षण 

स्वार्थ को नजरअंदाज़ करना: गुड गर्ल सिंड्रोम के लक्षण में से एक है कि व्यक्ति अपने स्वार्थों और इच्छाओं को नजरअंदाज़ करता है और दूसरों की प्राथमिकताओं को पहले रखता है.

समर्पणशीलता: यह सिंड्रोम व्यक्ति को अत्यधिक समर्पित बनाता है, जिससे वह अपने आप को दूसरों की चाहतों और आशाओं के लिए समर्पित करता है.

स्वाभाविक इच्छाशक्ति का कम होना: इस सिंड्रोम के संदर्भ में, व्यक्ति को अपनी स्वाभाविक इच्छाशक्ति को व्यक्त करने में कठिनाई होती है.

इन लक्षणों को समझकर व्यक्ति अपने संबंधों और स्वार्थों के साथ संतुलित रहने के लिए सकारात्मक परिवर्तन कर सकता है.

“गुड गर्ल सिंड्रोम” का इलाज

सेल्फ अवेयरनेस: व्यक्ति को अपनी स्वार्थपरता और अन्य लक्षणों को पहचानने की आवश्यकता होती है. स्वयं को समझने और स्वीकार करने के बाद, वह स्वयं के प्रति समर्पित होने का प्रयास कर सकता है.

संवेदनशीलता और संवाद: इसे सही तरीके से समझने के लिए व्यक्ति को अपने भावनाओं को दूसरों के साथ साझा करने की आवश्यकता होती है. संवाद के माध्यम से, व्यक्ति अपनी समस्याओं को समझने में मदद प्राप्त कर सकता है और सहायता प्राप्त कर सकता है.

एक्सपर्ट्स की हेल्प: समय-समय पर, एक पेशेवर मनोवैज्ञानिक या काउंसलर की सहायता लेना भी उपयुक्त हो सकता है. उन्हें व्यक्तिगत परिस्थितियों को समझने में मदद मिलेगी और उन्हें सही दिशा में नेविगेट करने की मदद कर सकते हैं.

ये तरीके गुड गर्ल सिंड्रोम के इलाज में मदद कर सकते हैं, लेकिन यदि किसी व्यक्ति को इस सिंड्रोम से निपटने में कठिनाई होती है, तो उन्हें विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.



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