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दुनिया की सबसे बड़े कंपनियों में शामिल Google को बड़ा झटका लगा है और नेशनल कंपनी लॉ अपिलिएट ट्राइब्यूनल (NCLAT) ने इसपर लगाए गए जुर्माने की सजा को बरकरार रखा है। NCLAT ने कहा है कि गूगल को 30 दिनों के अंदर 1,337 करोड़ रुपये भरने होंगे। बता दें, बीते दिनों भारत में कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बनाए रखने से जुड़े वॉचडॉग कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने गूगल पर मार्केट को प्रभावित करने का आरोप लगाते हुए बड़ा जुर्माना लगाया था। गूगल ने इस फैसले को NCLAT के सामने चुनौती दी थी।
CCI की ओर से बड़ा जुर्माना लगाए जाने के बाद पिछले महीने गूगल मे इसे ‘गलत आरोप’ बताया था और NCLAT से इसपर विचार करने और फैसले में सुधार करने की अपील की थी। गूगल ने कहा था कि डिवाइसेज बनाने वाली कंपनियों के साथ इसके मोबाइल ऐप डिस्ट्रिब्यूशन एग्रीमेंट में यह कहीं भी नहीं कहा जाता कि वे अन्य ऐप्स प्री-इंस्टॉल नहीं कर सकते। गूगल का कहना है कि ओरिजनल एक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर्स (OEMs) को प्रतिस्पर्धी कंपनियों की ऐप्स इंस्टॉल करने की भी पूरी स्वतंत्रता दी गई है।
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क्या है गूगल से जुड़ा यह पूरा मामला?
एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम गूगल का मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है और इसमें गूगल की ऐप्स प्री-इंस्टॉल्ड मिलती हैं। जब भी कोई कंपनी अपने डिवाइसेज में Android आधारित सॉफ्टवेयर देना चाहती है तो उसे गूगल के साथ मोबाइल ऐप्लिकेशन डिस्ट्रिब्यूशन एग्रीमेंट (MADA) साइन करना पड़ता है। एग्रीमेंट के तहत सभी एंड्रॉयड डिवाइसेज में गूगल की प्री-इंस्टॉल्ड ऐप्स जरूर होनी चाहिए और उन्हें अनइंस्टॉल नहीं किया जा सकता। आरोप है कि ऐसा करते हुए गूगल मार्केट की प्रतिस्पर्धा को प्रभावित कर रही है।
NCLAT ने अपने फैसले में क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट से निर्देश मिलने के बाद CCI के आदेशों पर विचार करने वाली अथॉरिटी NCLAT ने 15 फरवरी को इस मामले पर सुनवाई शुरू की थी। कोर्ट ने NCLAT से इस अपील पर 31 मार्च तक आखिरी फैसला सुनाने को कहा था। अपना पक्ष रखते हुए गूगल ने कहा कि उसकी ओर से करवाया जाने वाला एग्रीमेंट गलत नहीं है क्योंकि डिवाइसेज में अन्य ऐप्स इंस्टॉल करने से जुड़ी कोई पाबंदी नहीं है और उनके लिए भी स्पेस उपलब्ध होता है। हालांकि, फैसला कंपनी के पक्ष में नहीं रहा और उसपर लगाए गए जुर्माने की सजा को बरकरार रखा गया था।
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साल की शुरुआत में 4 जनवरी को NCLAT की एक अन्य बेंच ने गूगल की अपील को लेकर नोटिस भेजते हुए कंपनी से 1,337 करोड़ रुपये के कुल जुर्माने के 10 प्रतिशत का भुगतान करने को कहा था। हालांकि, उस वक्त गूगल ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि कंपनी आखिरी सुनवाई और अंतिम फैसले का इंतजार करेगी। गूगल पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि वह अन्य कंपनियों को मार्केट में जगह बनाने का मौका नहीं दे रही और यूजरबेस बरकरार रखने के लिए गलत तरीके आजमा रही है।
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