Home Business Gratuity: कब मिलती है ग्रेच्‍युटी, जल्‍दी नौकरी छोड़ने से क्‍या होगा नुकसान और कितनी मिलती है राशि?

Gratuity: कब मिलती है ग्रेच्‍युटी, जल्‍दी नौकरी छोड़ने से क्‍या होगा नुकसान और कितनी मिलती है राशि?

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Gratuity: कब मिलती है ग्रेच्‍युटी, जल्‍दी नौकरी छोड़ने से क्‍या होगा नुकसान और कितनी मिलती है राशि?

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हाइलाइट्स

काम के दौरान मौत होने पर कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार होता है.
ऐसे में इससे फर्क नहीं पड़ता कि उसने कितने दिन काम किया.
ग्रेच्युटी की गणना करने का एक फिक्स फॉर्मूल होता है.

नई दिल्‍ली. ग्रेच्युटी को कंपनी के प्रति आपकी निष्ठा और समर्पण को सम्मानित करने के रूप में देखा जा सकता है. हालांकि, ये कब दी जाती है इसे लेकर कई लोगों के मन में थोड़ी गलत धारणा है. अक्सर लोग मानते हैं कि उन्हें 5 साल पूरे होने के बाद ही ग्रेच्युटी मिलेगी. यह पूरी तरह गलत है. आप ग्रेच्युटी के हकदार 5 साल से पहले ही हो जाते हैं. आपने अगर एक कंपनी में 4 साल 240 दिन भी काम कर लिया है तो आप ग्रेच्युटी के हकदार हैं. आपको बता दें कि अपवाद के तौर पर कोयला या अन्‍य माइंस में अथवा अंडरग्राउंड प्रोजेक्‍ट में काम करने वालों के लिए 4 साल 190 दिन पूरे करने पर ही 5 साल का कार्यकाल मान लिया जाता है.

अगर आप उपरोक्त बताए गए समय के बाद कंपनी छोड़ते हैं या नौकरी से रिटायर हो जाते हैं, तब भी आपको ग्रेच्युटी मिलेगी और कंपनी इसे नकार नहीं सकती है. अगर कर्मचारी की नौकरी के दौरान ही मौत हो जाती है तो उसने कंपनी में कितने भी दिन काम किया हो वह ग्रेच्युटी का पूरा हकदार है. हालांकि, इस बात का भी ध्यान रखें कि आपको ग्रेच्युटी उसी कंपनी में मिलेगी जहां 10 से अधिक कर्मचारी काम करते हों. पेमेंट ऑफ ग्रेच्‍युटी एक्‍ट, 1972 के तहत इसका विवरण दिया गया है.

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नौकरी पहले छोड़ने पर आपको नुकसान
आज कल लोग कई कारणों से बहुत जल्दी-जल्दी नौकरियां बदलते हैं. कई लोग काम के माहौल से परेशान होकर तो कई लोग अच्छे अवसरों और वेतन के लिए कंपनी छोड़ते हैं. अगर आप ऐसा शुरुआती 1-2 साल में करते हैं तो भी आपको उतना नुकसान नहीं होता. लेकिन, अगर आप चौथे साल के बाद कंपनी छोड़ रहे हैं तो आपको भारी नुकसान होगा. ऐसा हम इसलिए नहीं कह रहे हैं क्योंकि आप ग्रेच्युटी के बहुत नजदीक आकर उसे लेने से चूक गए. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि कंपनी ग्रेच्युटी का एक हिस्सा आपकी सैलरी से ही काटती है. इसका मतलब है कि आप 4 साल तक जमा अपनी मेहनत की कमाई के एक हिस्से को उसके बेहद नजदीक पहुंचकर छोड़ जाते हैं.

कैसे होता है कैलकुलेशन
ग्रेच्युटी की गणना का एक फिक्स फॉर्मूला है. यह इस प्रकार है- (अंतिम सैलरी) x (15/26) x (कंपनी में कितने साल काम किया) = कुल ग्रेच्युटी की रकम. इसे एक उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं. मान लें कि आपने 20 साल एक ही कंपनी में काम किया और आपकी अंतिम सैलरी 50,000 रुपये प्रति माह रही. इससे फॉर्मूले की 2 संख्याएं आपको मिल गईं. अब बचे 15 और 26, यह क्या है? जब ग्रेच्युटी की गणना होती है तो महीने में केवल 26 दिन ही गिने जाते हैं क्योंकि इसमें 4 दिन की छुट्टी हटा दी जाती है. इस फॉर्मूले में 15 का मतलब है कि साल में केवल 15 दिन की ही ग्रेच्युटी आपको मिलेगी. अब आइए इसे कैलकुलेट करते हैं. (50,000) x (15/26) x (20) = 576,923 रुपये. यानी आप 20 साल की नौकरी के बाद करीब 6 लाख रुपये की ग्रेच्युएटी के हकदार होते हैं.

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