Home Business Gratuity: नियोक्‍ता ग्रेच्‍युटी भुगतान रोक दे तो क्‍या करें कर्मचारी, कहां और कैसे करें शिकायत, कब तक होगी सुनवाई

Gratuity: नियोक्‍ता ग्रेच्‍युटी भुगतान रोक दे तो क्‍या करें कर्मचारी, कहां और कैसे करें शिकायत, कब तक होगी सुनवाई

0
Gratuity: नियोक्‍ता ग्रेच्‍युटी भुगतान रोक दे तो क्‍या करें कर्मचारी, कहां और कैसे करें शिकायत, कब तक होगी सुनवाई

[ad_1]

हाइलाइट्स

ग्रेच्युटी रुकने के बाद आपके पास कई कानूनी विकल्प होते हैं.
देरी से मिलने पर आप ग्रेच्युटी के साथ ब्याज के भी हकदार हैं.
आप किसी कंपनी में 4 साल 240 दिन काम करके ग्रेच्युटी ले सकते हैं.

नई दिल्ली. अगर आप किसी कंपनी में 4 साल 240 दिन काम कर लेते हैं तो आप ग्रेच्युटी के हकदार हो जाते हैं. ग्रेच्युटी का कुछ हिस्सा आपके सीटीसी से ही कटता है. कंपनी के लिए यह अनिवार्य है कि तय समयसीमा के बाद अगर आप कंपनी छोड़ते भी हैं तो भी आपको ग्रेच्युटी दी जाए. आमतौर पर कंपनियां ग्रेच्युटी देने में कोई कोताही नहीं बरतती हैं. हालांकि, मान लीजिए आपके नियोक्ता ने आपको ग्रेच्युटी देने से इनकार कर दिया तो ऐसे में फिर आपके पास क्या विकल्प रह जाएंगे.

ऐसे में सबसे पहला काम आप ये कर सकते हैं कि आप अपने नियोक्ता को लीगल नोटिस भेजें. अगर आपका नियोक्ता तब भी आपको ग्रेच्युटी देने में नाकाम रहता है तो आप इसकी शिकायत अपने जिले के लिए लेबर कमिशनर ऑफिस में कर सकते हैं. आमतौर पर एक असिस्टेंट लेबर कमिश्नर इस तरह के मामलों को देखने के लिए नियुक्त किया जाता है. आपको बता दें कि कर्मचारी का ग्रेच्युटी का अधिकार पेमेंट ऑफ ग्रेच्युटी एक्ट, 1972 के तहत सुरक्षित है.

ये भी पढ़ें- कंपनी दिवालिया हो जाए तो मिलेगा ग्रेच्‍युटी का पैसा, छोड़िएगा मत! जानिए क्या कहता है कानून?

मामला अधिकारी के पास जाने के बाद क्या?
अगर आपकी बात सही होती है और अधिकारी कंपनी को आदेश देता है कि आपकी ग्रेच्युटी दी जाए तो आपके नियोक्ता को 30 दिन के अंदर इसका भुगतान करना होता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो उसके बाद 15 दिन के अंदर अधिकारी कंपनी के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की शुरुआत कर सकता है.

क्या है सजा?
अगर नियोक्ता दोषी पाया जाता है तो उसे 6 महीने से लेकर 2 साल तक की जेल हो सकती है. हालांकि, कई बार इस मामले को आपस में रफा-दफा कर लिया जाता है. ऐसे में नियोक्ता को कर्मचारी को ग्रेच्युटी का भुगतान तो करने का आदेश तो दिया ही जाता है, साथ में विलंब अवधि का ब्याज भी चुकाने को कहा जाता है. इसके अलावा कई बार नियोक्ता पर जुर्माना भी लगाया जाता है. कुछ साल मध्य प्रदेश में हुए ऐसे ही एक मामले में कोर्ट ने नियोक्ता पर 1 लाख रुपये का जुर्माना लगाया था.

ग्रेच्युटी इंश्योरेंस
ग्रेच्युटी सिर्फ उन्हीं कंपनियों में दी जाती है जहां कर्मचारी 10 से अधिक हो. इन कंपनियों को ग्रेच्युटी का इंश्योरेंस भी कराना होता है. इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि जब ग्रेच्युटी देने की बारी आए तो कंपनी के पास फंड की कमी न हो.

Tags: Business news in hindi, Employee Salary Rules, Employees salary, Gratuity, Salary break-up

[ad_2]

Source link