नीलेश राणा/बनासकांठा. गुजरात के इस किसान से सिर्फ उनके जिले के ही नहीं बल्कि कई राज्यों के किसान प्रेरणा ले सकते हैं. डिसा (Dessa) के नागफना गांव के 27 वर्षीय पंकजभाई देसाई ने मधुमक्खी पालन केंद्र (Honey-Bee Farming) शुरू किया और अब हर साल साल लाखों रुपये कमा रहे हैं. बनासकांठा जिले में ऐसे किसान हैं जिन्होंने अपने प्रयोग और प्रौद्योगिकी के तालमेल से अच्छा मुनाफा कमाया है. इसका एक उदाहरण पंकजभाई भूराभाई देसाई (Pankajbhai Desai) हैं.
अंग्रेजी और एमकॉम तक की शिक्षा हासिल करने वाले पंकज ने पढ़ाई के बाद कृषि में कुछ अलग करने का सपना देखा. जब 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने डिसा में एक कार्यक्रम में मीठी क्रांति की बात कही, तब पंकज के दिमाग में वह बात अटक गई. फिर उन्होंने शहद की खेती के लिए 2016 में बनास डेयरी (Banas Kantha Dairy) के सहयोग से 5 दिन की ट्रेनिंग ली. डेयरी ने उन्हें शहद की खेती के लिए 10 बक्से भी दिए.
इतनी वैरायटी के शहद सुने हैं आपने?
पंकजभाई ने 2017 से शहद की खेती शुरू की, 2017 में उन्होंने महज 60 हजार रुपए के निवेश से 100 पेटियों से शहद की खेती शुरू की. आज यह 700 बॉक्स तक पहुंच गया है. सालाना 20 हजार किलो शहद का उत्पादन होता है. साथ ही वे अजामा, सौंफ, धनिया, लीची, कश्मीरी, तिल, नीलगिरी सहित 7 से 8 प्रकार के शहद का उत्पादन करते हैं और बनास डेयरी और कई फार्मासिस्ट कंपनियों को आपूर्ति करते हैं.
खट्टे-मीठे अनुभवों से PM मोदी के ट्वीट तक
किसानों को शहद की खेती के लिए बनास डेयरी ट्रेनिंग दे रही है. नए किसानों को प्रशिक्षण के बाद डेयरी 10 बक्सों की मदद भी देती है ताकि छोटे किसानों को भी पैर जमाने का मौका मिले और वे धीरे-धीरे कृषि में आगे बढ़ सकें. पंकज अब बनास डेयरी में शहद की आपूर्ति भी कर रहे हैं यानी उन्हें कहीं बाजार खोजने की जरूरत भी नहीं होती.
बनास डेयरी शहद उचित मूल्य पर खरीद रही है. शुरुआत में पंकज को भी शहद उत्पादन में काफी परेशानी हुई, लेकिन उन्होंने अनुभव और तकनीक से इसे आसान बना लिया. महज 6 साल में वह शहद उत्पादन में अग्रणी हो गए हैं. पंकज की सफलता देखकर कई किसान उनसे गाइडेंस लेने आते हैं. पंकज भी किसानों को परंपरागत खेती के बजाय शहद उत्पादन के लिए प्रेरित कर रहे हैं.
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Tags: Farming, Gujarat news
FIRST PUBLISHED : April 27, 2023, 17:23 IST