
हाइलाइट्स
अध्ययन में यह भी कहा गया है कि न सिर्फ ठंड बल्कि अत्यधिक गर्मी भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है.
हार्ट की जटिलताओं से संबंधित सभी मौतों में हार्ट फेल्योर से होने वाली मौतें सबसे ज्यादा थीं.
Extreme weather linked to heart attack: पिछले कुछ सालों से हार्ट अटैक के मामलों में अचानक तेजी आ गई है. आजकल 25 साल के युवा भी हार्ट अटैक के शिकार हो रहे हैं. हार्ट अटैक साइलेंट किलर की तरह आता है तो और चुपके से इंसान की जान ले लेता है. इससे लोगों में दहशत है कि आखिर हार्ट अटैक या दिल से संबंधित बीमारियों के मामले में इतनी तेजी क्यों आ रही है. हालांकि अधिकांश मामलों में हार्ट अटैक का कारण व्यक्ति की खुद की खराब लाइफस्टाइल है लेकिन इसके लिए कई अन्य कारण भी जिम्मेदार होते हैं. अब एक नए अध्ययन में इस बात की पुष्टि की गई है कि अत्यधिक ठंड या गर्म का मौसम भी हार्ट अटैक को बढ़ावा दे रहा है. यानी मौसम की बेरहम मार हार्ट अटैक का कारण बन रही है. ठंड में ब्लड वैसल्स में संकुचन होता है जिसके कारण हार्ट पर अनावश्यक दबाव पड़ता है, इससे हार्ट अटैक का जोखिम बढ़ता है लेकिन अब अध्ययन में यह भी कहा गया है कि न सिर्फ ठंड बल्कि अत्यधिक गर्मी भी हार्ट अटैक का कारण बन सकती है.
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32 लाख लोगों की मौत के आकलन का निचोड़
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन की वेबसाइट में अध्ययन के आधार पर दावा किया गया है कि अत्यधिक ठंड और अत्यधिक गर्मी का सीधा संबंध दिल से संबंधित मौतों से जुड़ा हुआ है. अध्ययन में पाया गया कि मौसम की इस बेरहम मार के कारण इश्चेमिक हार्ट डिजीज, स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर, एरिथमिया, हार्ट अटैक आदि का जोखिम बढ़ रहा है. यह अध्ययन अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन से संबंधित जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित हुआ है. अध्ययन में पिछले चार दशक के दौरान दिल से संबंधित 32 लाख मौतों का विश्लेषण किया. इनमें अधिकांश मौतों का संबंध अत्यधिक गर्मी या सर्दी से था. दिल से संबंधित मौतों में सबसे अधिक हार्ट फेल्योर के मामले थे जो तापमान के चरम पर होने के कारण सामने आए.
हार्ट फेल्योर से सबसे ज्यादा मौत
अध्ययन में कहा गया कि जिस तरह से जलवायु परिवर्तन हो रहा है और उसका असर हर ओर दिख रहा है उस स्थिति में दिल से संबंधित मामलों में वृद्धि और तापमान से इसका संबंध खतरनाक स्थिति दर्शाता है. इसलिए इस विषय पर और अधिक रिसर्च करने की जरूरत है. रिसर्च में शामिल टीएच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ के डॉ बराक अहमद ने बताया कि 1960 के बाद दिल से संबंधित मौतों में कमी आने लगी थी. इसका कारण था कि हमने दिल से संबंधित मौतों के लिए जिम्मेदार कारकों जैसे कि टाइप 2 डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर आदि की पहचान कर ली थी. लेकिन इस बार हमारे लिए पर्यावरण चुनौती बन रही है और जलवायु परिवर्तन के कारण दिल से संबंधित जोखिम भी बढ़ने लगे हैं. अध्ययन के मुताबिक दिल से संबंधित प्रति एक हजार मौतों में अत्यधिक गर्मी में औसतम 2.2 मौतें ज्यादा हुई जबकि अत्यधिक सर्दी में औसत से 9.9 मौतें ज्यादा हुई. हार्ट की जटिलताओं से संबंधित सभी मौतों में हार्ट फेल्योर से होने वाली मौतें सबसे ज्यादा थीं.
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Tags: Health, Health tips, Lifestyle
FIRST PUBLISHED : January 16, 2023, 18:37 IST