Tuesday, February 4, 2025
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Heart Transplant Day: किन कंडीशन में किया जाता है हार्ट ट्रांसप्लांट, क्या है पूरी प्रक्रिया, जानें सबकुछ


हाइलाइट्स

हार्ट फेलियर से जूझ रहे मरीजों को हार्ट ट्रांसप्लांट की जरूरत पड़ती है.
जब सभी तरह के इलाज फेल हो जाएं, तब ट्रांसप्लांट का विकल्प बचता है.

All About Heart Transplant: हर साल हार्ट डिजीज की वजह से करोड़ों लोगों की मौत हो जाती है. वर्तमान समय में हार्ट डिजीज के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (WHO) के अनुसार हार्ट डिजीज दुनियाभर में होने वाली मौतों की सबसे बड़ी वजहों में से एक है. भारत में भी बड़ी संख्या में लोग दिल की बीमारियों से जूझ रहे हैं. इनमें सभी उम्र के लोग शामिल हैं. वर्ल्ड हेल्थ फेडरेशन (WHF) की एक हालिया रिपोर्ट में खुलासा हुआ था कि पिछले 30 सालों में विश्व में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज से होने वाली मौतों की संख्या में 60 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी हुई है, जो बेहद चिंताजनक है. ऐसे में हार्ट डिजीज को लेकर इलाज की नई तकनीकों पर लगातार काम किया जा रहा है. इनमें से हार्ट ट्रांसप्लांट भी काफी कारगर तरीका है.

दिल की कई बीमारियों में हार्ट ट्रांसप्लांट के जरिए बड़ी संख्या में लोगों की जान बचाई जा सकती है. यह एक ऐसी तकनीक हो, जो हार्ट डैमेज या फेल होने की कंडीशन में लोगों के लिए लाइफ सेविंग हो सकती है. 3 अगस्त को भारत में हार्ट ट्रांसप्लांट डे (Heart Transplant Day) मनाया जाता है. साल 1994 में इसी दिन भारत में पहली बार हार्ट ट्रांसप्लांट किया गया था. मायोक्लीनिक की रिपोर्ट के मुताबिक हार्ट ट्रांसप्लांट एक ऐसा ऑपरेशन होता है, जिसमें मरीज के खराब हृदय को निकालकर ऑर्गन डोनेट करने वाले व्यक्ति के हार्ट से बदल दिया जाता है. हृदय प्रत्यारोपण एक ऐसा उपचार है जो आमतौर पर उन लोगों के लिए किया जाता है, जिनका हार्ट दवाओं या अन्य सर्जरी से ठीक नहीं हो पाता. हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद मरीज के जीने की संभावना बढ़ जाती है.

जब किसी व्यक्ति का हार्ट फेल हो जाता है और तमाम इलाज के बाद भी हार्ट काम नहीं करता, तब उस कंडीशन में हार्ट ट्रांसप्लांट करने की जरूरत पड़ती है. आमतौर पर हृदय की मांसपेशियां कमजोर होने (cardiomyopathy), कोरोनरी आर्टरी डिजीज, हार्ट वॉल्व डिजीज, जन्मजात हार्ट प्रॉब्लम की वजह से हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ जाता है. जब इन परेशानियों से किसी भी तरह के ट्रीटमेंट से फायदा नहीं मिलता, तब ट्रांसप्लांट के जरिए उनकी जिंदगी बचाई जा सकती है. हार्ट ट्रांसप्लांट के बाद मरीज लंबे समय तक बिना परेशानी के अपनी जिंदगी जी सकता है. हालांकि हार्ट ट्रांसप्लांट कम उम्र के लोगों में ज्यादा सक्सेसफुल रहता है. ज्यादा उम्र के लोगों के मामले में यह ज्यादा सक्सेसफुल नहीं रहता है.

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Tags: Health, Heart Disease, Lifestyle, Trendng news



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