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पड़ोसी देशों के छोटे पशुओं खासकर कुत्ते-बिल्लियों में हार्ट अटैक के मामले बढ़ रहे हैं। इस बीमारी की पहचान और उपचार का प्रशिक्षण लेने के लिए वहां के वैज्ञानिक भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली आ रहे हैं। यहां उन्हें ईकोकार्डियोग्राफी का प्रशिक्षण दिया जाता है, जिससे कि छोटे पशुओं खासकर कुत्ते-बिल्लियों में हार्ट संबंधी बीमारियों के लक्षणों को जानकर उनका उपचार किया जा सके। हाल ही में आईवीआरआई बरेली में नेपाल, श्रीलंका, ओमान और मालदीव के वैज्ञानिकों ने इसका प्रशिक्षण लिया है।
आईवीआरआई के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि पर्यावरण में तेजी से हो रहे बदलाव, फास्टफूड और आधुनिक तरीके से खानपान का असर न सिर्फ मानवों पर बल्कि पशुओं पर भी पड़ रहा है। पिछले दो-तीन साल में भारत के साथ ही विदेशों में भी कुत्ते-बिल्लियों में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं। पिछले साल जी-20 समिट और अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में इस पर सभी देशों के वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की। इसके बाद पिछले साल दिसंबर में हुई इंटरफेस बैठक के पहले फेज में श्रीलंका, नेपाल, ओमान और मालदीव के वैज्ञानिकों ने आईवीआरआई आकर पशुओं में हार्ट संबंधी बीमारियों की जांच और उपचार के संबंध में प्रशिक्षण लेने की इच्छा जाहिर की।
ऐसे में आईसीएआर दिल्ली के निर्देश पर आईवीआरआई बरेली में ईकोकार्डियोग्राफी का प्रशिक्षण देने के लिए शेड्यूल का निर्धारण किया गया। इसी के तहत छह से 12 फरवरी तक इन देशों के 12 वैज्ञानिकों को पशुओं में हार्ट की बीमारी, उसके लक्षण, जांच और उपचार का प्रशिक्षण दिया गया। डॉ. दत्त ने बताया कि हृदय की बीमारियों की पहचान के लिए होने वाली जांच को ईकोकार्डियोग्राफी कहा जाता है। कई बार संसाधन न होने से हृदय की बीमारियों की पहचान नहीं हो पाती और पशुओं की मृत्यु हो जाती है।
कुत्तों में इसलिए बढ़ रहे हार्ट अटैक के मामले
आईवीआरआई में रेफरल पॉली क्लीनिक के प्रभारी प्रधान वैज्ञानिक डा. अमरपाल ने बताया कि खानपान और रहन सहन में तेजी से बदलाव होने के कारण कई बार श्वान (कुत्तों) में हृदय बाल्व अनियमित रूप से काम करने लगता है। इसके असंतुलन से हृदय का आकार बढ़ जाता है। हृदय सकुंचन क्षमता घट जाती है, जिससे शरीर में खून का प्रवाह कम हो जाता है और श्वानों की मृत्यु हो जाती है।
मोटी हो जाती है बिल्लियों के हृदय की दीवार
डॉ. अमरपाल ने बताया कि बिल्लियों में हृदय की दीवार की मोटाई बढ़ जाने से हृदय चैंबर छोटा हो जाता है। ऐसे में शरीर में खून का प्रवाह कम हो जाता है। उन्होंने बताया कि बीते दिनों हुई छह दिवसीय प्रशिक्षण में छोटे पशुओं में हृदय की बीमारियों को समझकर निदान के बारे में बताया गया।
स्टेम सेल से उपचार का भी दिया गया प्रशिक्षण
संस्थान के निदेशक डॉ. त्रिवेणी दत्त ने बताया कि चारों देशों के वैज्ञानिकों को फ्रैक्चर मैनेजमेंट, एनेस्थिसिया, स्टेम सेल, यूरोलिथियासिस प्रबन्धन आदि की भी जानकारी दी गई। इसके साथ ही इस बात का आश्वासन दिया गया कि पशु संबंधी किसी भी बीमारी के इलाज में आ रही परेशानियों के लिए आईवीआरआई के वैज्ञानिक और पशु चिकित्सक हरसंभव मदद करेंगे।