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कल्पनाओं के पठार पर विचरण करना आसान है लेकिन मंजिल तक सफर पूरा कर पाना सबसे लिए संभव नहीं होता। वैसे भी अगर परिस्थितियां विपरीत हों तो यह और भी दुरूह हो जाता है।
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