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रिपोर्ट- निखिल स्वामी
बीकानेर. बीकानेर की होली मस्ती, मिठाई और नमकीन के लिए जानी जाती है. और होली यानि भांग की तरंग. बीकानेरी भुजिया के सब दीवाने हैं. ये जो खाता है इसका स्वाद उसकी जुबान पर चढ़ जाता है. लेकिन होली की भुजिया की बात ही अलग है. होली पर भांग की भुजिया बनती है. इसकी मांग सिर्फ होली पर होती है इसलिए कारोबार भी सिर्फ 15-20 दिन ही होता है.
होली नजदीक आते ही शहर में फाल्गुनी बयार छाने लगती है. होली पर यहां खाने की कई स्पेशल चीजें मिलती है. इनमें बीकानेर की भुजिया की बात ही कुछ और है. होली पर मिलने वाली यह भुजिया साधारण नहीं बल्कि इसे खाते ही रंग के इस त्योहार की मस्ती छा जाती है इसमें रहता है थोड़ा नशा-थोड़ी मस्ती.
2 महीने तक नहीं होती खराब
दरअसल ये होली की स्पेशल भुजिया है. इसमें भांग मिलाकर बनायी जाती है. इसलिए ये भांग की भुजिया ही कहलाती है. इस भुजिया को पूरा शहर छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्ग तक सभी बड़े चाव से खाते हैं. यह भुजिया साल में सिर्फ इसी समय 15 से 20 दिन बनायी जाती है. खासियत ये है कि ये दो महीने तक खराब नहीं होती. इसमें किसी तरह के तेल की गंध नहीं आती. हालांकि ये थोड़ी महंगी होती है. इसका बाजार भाव 400 रुपए किलो है. जो साधारण भुजिया से थोड़ा ज्यादा है.
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केवल होली पर बनती है भांग भुजिया
भुजिया व्यवसायी राजकुमार बताते हैं भुजिया में भोले भंडारी को चढ़ाई जाने वाली भांग मिलायी जाती है. इससे नशा नहीं बल्कि मस्ती रहती है. इस भुजिया को खाने से किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं होता. होली पर यह भुजिया बनायी जाती है. होली के दौरान 15-20 दिन लगातार ये भुजिया बनायी जाती है. होली निकलते ही इसका कारोबार भी बंद हो जाता है. जैसे जैसे होली नजदीक आएगी भांग भुजिया की डिमांड बढ़ती जाएगी. यह भांग भुजिया दिल्ली, मुंबई, गुजरात, चेन्नई, कोलकाता तक भेजी जाती है.
मस्ती पूरी, मजा किरकिरा न हो
भुजिया एक से दो घंटे में बनकर तैयार हो जाती है. ये शुद्ध मोठ से बनायी जाती है. इसके अलावा साबुत मसाले डाले जाते हैं. इसमें लौंग, जावित्री, जायफल, काला नमक, इलायची डाली जाती है. भांग काफी कम मात्रा में डाली जाती है ताकि मस्ती पूरी रहे. नशा मजा न बिगाड़े.
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Tags: Bikaner news, Food business, Holi celebration
FIRST PUBLISHED : March 9, 2024, 14:07 IST
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