Monday, July 8, 2024
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Home Loan Rate: चुपचाप EMI बढ़ा सकता है बैंक, आपको हवा भी नहीं लगेगी, जानिए क्या है वजह


नई दिल्ली: आरबीआई (RBI) ने महंगाई को रोकने के लिए हाल में नीतिगत ब्याज दरों यानी रेपो रेट (repo rate) में काफी इजाफा किया है। इसके बाद बैंकों ने भी लोन महंगा कर दिया है। अक्सर ग्राहकों को यह शिकायत रहती है कि बैंक चुपचाप उनकी किस्त बढ़ा देते हैं और इस बारे में उन्हें जानकारी नहीं दी जाती है। नेशनल कंज्यूमर कोर्ट (National Consumer Court) के मुताबिक अगर ब्याज दरों में किसी का बदलाव होता है तो बैंक इस बारे में ग्राहकों को व्यक्तिगत तौर पर बताने के लिए बाध्य नहीं हैं। इसकी वजह यह है कि फ्लोटिंग रेट प्लान (floating rate plan) के तहत ग्राहक पहले ही ब्याज दरों में किसी भी तरह के बदलाव के लिए सहमति जता चुके हैं। बैंक अब सारे लोन फ्लोटिंग रेट प्लान पर ही देते हैं।

नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रेड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने एक अहम फैसले में कहा कि अगर कोई बैंक ब्याज दरों के बारे में अपनी वेबसाइट पर जानकारी देता है तो इसे नोटिस माना जा सकता है। बैंक इस बारे में ग्राहकों को व्यक्तिगत रूप से जानकारी देने की बाध्य नहीं है। NCDRC ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) वर्सेज विष्णु बंसल केस में स्टेट कंज्यूमर कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए यह व्यवस्था दी। इस फैसले को बैंक-कंज्यूमर रिलेशन के लिए अहम माना जा रहा है। NCDRC के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है।

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कोर्ट ने क्या कहा

इस मामले में दिल्ली के कंज्यूमर कमीशन ने पिछले साल मई में फैसला दिया था कि ग्राहक की मर्जी के बिना बैंक होम लोन का रेट नहीं बढ़ा सकता है। लेकिन आईसीआईसीआई बैंक ने इसे NCDRC में चुनौती दी। बैंक ने अपनी दलील में कहा कि फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट के मुताबिक किस्त में बदलाव किया गया और ग्राहक ने सभी दस्तावेजों को पढ़ने के बाद उन पर हस्ताक्षर किए थे। सभी ग्राहकों पर यह बात लागू होती है। शिकायतकर्ता का कहना था कि अगर बैंक ने उसके किस्त में बदलाव के बारे में बताया होता तो वह अपना लोन किसी और बैंक में ट्रांसफर कर सकता था।

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NCDRC के पीठासीन सदस्य दिनेश सिंह और मेंबर करुणा नंद बाजपेयी ने दिल्ली कंज्यूमर कमीशन के फैसले को खारिज करते हुए कहा कि अगर बैंक और ग्राहक के बीच एग्रीमेंट है तो बैंक ग्राहक को व्यक्तिगत तौर से बताए बिना फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट में कमी या बढ़ोतरी कर सकता है। ग्राहक ने बैंक के साथ हुए एग्रीमेंट में फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर सहमति जताई थी। आजकल बैंक फ्लोटिंग इंटरेस्ट रेट पर ही ब्याज देते हैं। हाल में आरबीआई ने रेपो रेट में भारी बढ़ोतरी की है। मई से इसमें 2.25 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है। रेपो रेट बढ़ने से बैंकों के लिए लागत बढ़ जाती है और वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं।



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