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हिन्दुस्तान टाइम्स लीडरशिप समिट 2023 (HTLS) में आए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को बताया कि उन्हें खाली समय में क्या पसंद है। उन्होंने कहा कि वे किताबें पढ़ना पसंद करते हैं। इसके अलावा, म्यूजिक सुनना और पत्नी कल्पना के साथ ट्रैवल करना भी काफी पसंद है। हालांकि, अब उतना ट्रैवल नहीं कर पाते हैं और सिर्फ काम के सिलसिले में ही यात्रा हो पाती है। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि उन्हें छुट्टी वाले दिन किताबें पढ़ना पसंद है। उन्होंने कहा, ”इसके अलावा पत्नी कल्पना के साथ यात्रा करना भी अच्छा लगता है। म्यूजिक के साथ मेरा गहरा प्रेम है, यह मुझे मेरी आत्मा के लिए सुखदायक लगता है। वेस्टर्न पॉप्यूलर म्यूजिक से लेकर आध्यात्मिक भजन तक पसंद हैं।”
सीजेआई ने कहा कि उन्हें इस बात का काफी अफसोस है कि उनके पास कई ऐसी किताब हैं, जिन्हें उन्होंने पढ़ा नहीं है। उन्होंने कहा, ”कल्पना मुझसे हमेशा कहती है कि किसी दिन यह किताबों का ढेर कहीं तुम्हारे सिर के ऊपर न गिर जाए। मैं बहुत विविधता वाली किताबें पढ़ने की कोशिश कर रहा हूं। हर रात 45 मिनट से एक घंटे तक पढ़ता हूं। इतिहास, अर्थशास्त्र, राजनीति आदि की किताबें मुझे पढ़ना पसंद है। उन्होंने बताया कि मैंने और कल्पना ने गांवों में काफी यात्रा की है। इसके अलावा, लद्दाख, सिक्किम, अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप, यूपी आदि सबमें यात्रा की है।
कार्यक्रम में सीजेआई ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट की तुलना में भारतीय मॉडल में अंतर का जिक्र करते हुए न्यायाधीशों की रिटायरमेंट की उम्र पर अपना नजरिया साझा किया। अमेरिकी सिस्टम में न्यायाधीशों के लिए रिटायरमेंट की कोई उम्र नहीं है, जबकि भारत में न्यायाधीश सेवानिवृत्त होते हैं। उन्होंने कहा, ”मुझे लगता है कि यह महत्वपूर्ण है कि न्यायाधीशों को सेवानिवृत्त हो जाना चाहिए। न्यायाधीश इंसान हैं, उनमें गलतियां होने की संभावना रहती है। यह दायित्व आने वाली पीढ़ियों को सौंपना महत्वपूर्ण है जो अतीत की गलतियों को उजागर करने में सक्षम हों।”
इसके अलावा, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट और भारतीय सुप्रीम कोर्ट की तुलना करते हुए सीजेआई ने दावा किया कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट एक साल में लगभग 80 मामलों का निपटारा करता है, जबकि इस साल भारतीय सुप्रीम कोर्ट ने लोगों की सेवा करने की अपनी प्रतिबद्धता को दिखाते हुए 72,000 मामलों का निपटारा किया है। कार्यक्रम में सीजेआई ने ई-कोर्ट प्रोजेक्ट के तीसरे फेज के कार्यान्वयन के साथ कानूनी प्रणाली में डिजिटलीकरण प्रयासों का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इसका उद्देश्य अधिक नागरिक-केंद्रित न्यायपालिका बनाना है, जिससे अदालतें लोगों के करीब आ सकें।