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India vs Australia: 1983, 2011 के बाद भारत अब 2023 में कीर्तिमान रचने की तैयारी कर रहा है। टूर्नामेंट की शुरुआत से ही एक के बाद एक शानदार जीत दर्ज कर रहा भारत अब विश्वविजेता बनने से महज कदम दूर है। रविवार को कप्तान रोहित शर्मा की अगुवाई में टीम ऑस्ट्रेलिया का मुकाबला करेगी। अब जब पूरा भारत ऐतिहासिक जीत की ओर देख रहा है, तो एक और ऐतिहासिक दौर चर्चा में है, जब भारत अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से सदस्यता गंवाने की कगार पर था।
कब की है बात?
बात तब की है, जब भारत आजाद हुआ था यानी 1947 की। कहा जाता है कि तब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के एक राजनीतिक फैसले ने भारत को इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस का सदस्य बनाए रखा था। अब इसे इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल या ICC कहा जाता है। उस दौरान नेहरू के फैसले का विरोध भी जमकर हुआ, लेकिन यह भारतीय क्रिकेट के लिहाज से काफी फायदेमंद साबित हुआ।
क्या था फैसला
जब भारत आजाद हुआ, तो अपना संविधान अपनाने तक नई सरकार ने ब्रिटिश राज को ही भारत का राजा माना। जब कांग्रेस पार्टी भारत को गणतंत्र बनाना चाहती थी और ब्रिटिश राज से सभी रिश्ते तोड़ना चाहती थी, तब ब्रिटेन के प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली और विपक्षी नेता विंस्टन चर्चिल ने भारत को कॉमनवेल्थ का हिस्सा बने रहने की पेशकश की।
कांग्रेस का विरोध, लेकिन नहीं माने नेहरू
कहा जाता है कि कांग्रेस ने भारत के कॉमनवेल्थ का हिस्सा बनने से इनकार कर दिया था। उनका मानना था कि आजादी मिलने के बाद ब्रिटिश क्राउन के साथ किसी भी तरह के राजनीतिक या संवैधानिक रिश्ता नहीं रखना चाहिए। इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में पत्रकार मिहीर बोस की किताब ‘नाइव वेव्ज: द एक्सट्राऑर्डिनरी स्टोरी ऑफ इंडियन क्रिकेट’ के अंश का जिक्र किया गया है।
लेखक किताब में बताते हैं कि चर्चिल ने सुझाव दिया था कि अगर भारत गणतंत्र बनता है, तो भी वह एक गणतंत्र के रूप में कॉमनवेल्थ का हिस्सा बना रह सकता है और राजा को स्वीकार कर सकता है। अब नेहरू को ये सुझाव पूरी तरह पसंद तो नहीं आया, लेकिन वह भारत को कॉमनवेल्थ में बने रहने के लिए तैयार हो गए। खास बात है कि तब वरिष्ठ नेता सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसका विरोध भी किया था।
क्रिकेट के फायदे में कैसे रहा फैसला
बोस लिखते हैं कि 19 जुलाई 1948 को इम्पीरियल क्रिकेट कॉन्फ्रेंस की लॉर्ड्स में बैठक हुई। तब यह फैसला लिया गया कि भारत ICC का हिस्सा रहे, लेकिन सिर्फ अस्थाई आधार पर सदस्य रहेगा। भारत की ICC सदस्यता के फैसले पर 2 साल बाद फिर विचार किया जाना था। अब ICC का नियम 5 बताता है कि अगर कोई देश ब्रिटिश कॉमनवेल्थ का हिस्सा नहीं होता है, तो उस देश की सदस्यता खत्म हो जाएगी।
जब ICC की 1950 में दोबारा बैठक हुई, तब भारत ने अपना संविधान अपना लिया था और वह कॉमनवेल्थ का सदस्य भी रहा, लेकिन उसकी सरकार पर ब्रिटिश राजशाही का कोई भी अधिकार नहीं था। कॉमनवेल्थ की सदस्यता से आश्वस्त होकर भारत को ICC ने स्थाई सदस्य बनाया।