Friday, February 7, 2025
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ICICI-Videocon Case: वेणुगोपाल धूत ने अंजान अधिकारियों के साथ मिलकर की साजिश, FIR में चौंकाने वाला खुलासा


हाइलाइट्स

सीबीआई की एफआईआर में चौंकाने वाली बात का खुलासा
कोचर पति-पत्नी ने फायदे के लिए सारे नियक रखे ताक पर
आरोपी को फायदे पर फायदा पहुंचाते गए अंजान अधिकारी

नई दिल्ली. आईसीआईसीआई-वीडियोकॉन लॉन फ्रॉड केस में सीबीआई ने अपनी जांच तेज कर दी है. इस केस में अब आरोप है कि विडियोकॉन ग्रुप के वेणुगोपाल धूत और अन्य अंजान अधिकारियों ने खराब नीयत से बैंक को करोड़ों का चूना लगाने के लिए जानबूझकर षड्यंत्र किया. धूत, आईसीआईसीआई के पूर्व सीईओ-एमडी चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर इस मामले में न्यायिक हिरासत में हैं.

उन्हें सीबीआई ने पिछले महीने की गिरफ्तार किया था. सीबीआई का आरोप है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपये का लोन देने के लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट, आरबीआई गाइडलाइन और बैंक की क्रेडिट पॉलिसी को ताक पर रख दिया.  सीबीआई ने कोचर पति-पत्नी और धूत के अलावा दीपक कोचर की नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसीपीएल), वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (वीआईईएल) और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भी आरोपी बनाया है. इन्हें साल 2019 में दर्ज की गई एफआईआर में भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम और आपराधिक षड्यंत्र से जुड़ी धाराओं में आरोपी बनाया गया है.

इस काम के लिए मिला लोन
वेणुगोपाल धूत के खिलाफ हुई एफआईआर सीएनएन-न्यूज18 के हाथ लगी है. एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि अप्रैल 2012 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंक समूह ने वीडियोकॉन ग्रुप के वीडियोकॉन हाईड्रोकार्बन होल्डिंग लिमिटेड (वीएचएचएल) को 2773.60 मिलियन डॉलर यानी 14145 करोड़ रुपये का स्टैंडबाय लेटर ऑफ क्रेडिट (सीबीएलसी) दिया. यह सीबीएलसी कंपनी को अप्रैजल और उसकी ब्राजील, इंडोनेशिया, मोंजाबिक में गैस और तेल की संपत्तियों के विकास के लिए दिया गया.

यहां दिखी लापरवाही
इसके बाद वीएचएचएल को 1103 मिलियन डॉलर की सीबीएलसी सुविधा दोबार दी गई. इसमें लंदन में स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक (एससीबी) के भी 400 मिलियन डॉलर शामिल हैं. फरवरी 2013 में वीआईआईएल ने बैंक समूह को सूचना दी कि एससीबी का लोन 400 मिलियन डॉलर से 530 मिलियन तक बढ़ गया है. इधर, बैंक समूह ने बिना किसी छानबीन के इस रकम को कथित रूप से स्वीकृत किया और एससीबी को उसका भुगतान कर दिया. एफआईआर के मुताबिक, एससीबी को इतनी बड़ी रकम का भुगतान करने के बावजूद बैंक समूह ने वीआईआईल की तेल-गैस की संपत्तियों का प्रभार खुद नहीं लिया. दूसरी ओर, वीएचएचएल का एससीबी में लोन बंद नहीं किया गया.

बैंक समूह ने सीमा के पार जाकर किया भुगतान
एफआईआर के मुताबिक, बैंक समूह ने जानबूझकर वीआईआईएल के साथ खराब नियत के साथ वीएचएचएल को फायदा पहुंचाया. उन्होंने वीएचएचएल को उसकी गैस-तेल की संपत्तियों पर एससीबी से और सुविधा लेने दी. इधर, वीआईआईएल ने अपने देनदारों को इसकी जानकारी ही नहीं दी कि वह एससीबी से और सुविधाएं ले रहे हैं. न ही, देनदारों ने उससे कभी इस बारे में पूछा. नवंबर 2013 में बैंक समूह ने तब भी वीआईएल पर सवाल नहीं उठाए, जब उसने दोबार एससीबी को भुगतान के लिए कहा. हालांकि, इस बीच यह सहमति बनी कि एससीबी को भुगतान किया जाएगा, लेकिन यह 650 मिलियन डॉलर से ज्यादा नहीं होना चाहिए. चौंकाने वाली बात यह है कि इस सहमति के बावजूद बैंक समूह ने एससीबी को 705.45 मिलियन डॉलर का भुगतान किया. इस भुगतान के लिए वीआईएल की मोंजाबिक की संपत्तियों का इस्तेमाल किया गया.

खराब नियत से की गई साजिश
एफआईआर कहती है कि, परिस्थितियों को देखते हुए प्रथम दृष्ट्या से नजर आता है कि एसबीआई के नेतृत्व वाले बैंक समूह के अधिकारियों और वेणु गोपाल धूत ने मिलकर षड्यंत्र किया. उन्होंने वीएचएचएल को एससीबी से सुविधाएं लेने दीं. इसमें खराब नीयत से मोंजाबिक की संपत्तियों का प्रभार नहीं लिया गया और वीआईएल को अनुचित लाभ प्रदान किया गया. इससे बैंक समूह को भारी नुकसान उठाना पड़ा. बैंक समहू ने वीडियोकॉन को 2773.6 मिलियन डॉलर यानी 14145 करोड़ रुपये का लोन तब दिया जब एक डॉलर की कीमत 51 रुपये थी, जबकि आज की तारीख में एक डॉलर की कीमत 82 रुपये है.

Tags: CICI Bank CEO and Managing Director Chanda Kochhar, ICICI bank



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