Thursday, February 6, 2025
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IIT : आलू के पराठे से सुबह, कमरा नंबर C-209 बन गया था कॉमन रूम, नारायणमूर्ति ने याद किए आईआईटी कानपुर में बिताए पल


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इंफोसिस के फाउंडर व चेयरमैन एनआर नारायणमूर्ति आईआईटी कानपुर  ( IIT Kanpur ) के 56वें दीक्षांत समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। उन्होंने अपने हाथों से मेधावियों को पदक पहनाकर और डिग्री देकर सम्मानित किया। छात्र-छात्राओं को भविष्य की सलाह देने के साथ संस्थान में बिताए अनुभव भी नारायणमूर्ति ने साझा किए। उन्होंने कहा कि 1969 में एमटेक ( MTech) के दौरान कानपुर में खूब मस्ती हुई थी। हॉस्टल पांच के सी-209 मेरा कमरा था, जिसे दोस्तों ने कॉमन रूम बना दिया था। शनिवार रात शुरू होने वाली पार्टी रविवार सुबह आलू के पराठे से खत्म होती थी। बोले-हम लोग लेक्चर हॉल-7 में फिल्म देखने जाते थे पर अक्सर वहां प्रोजेक्टर ही फेल हो जाता था। यह सुनकर प्रोफेसर से लेकर छात्र तक हंसने लगे। दोस्त मोहन राव, श्रीनाथ को याद करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें योग कराने की कोशिश की लेकिन सफलता नहीं मिली। शहर का चुंगफा रेस्टोरेंट में अकसर हम लोग जाया करते थे। 

सभी को नौकरी मिलने से हटेगी गरीबी नारायणमूर्ति

नारायणमूर्ति ने कहा कि देश विकास की ओर बढ़ रहा है मगर अभी भी कई कमियां हैं, जिन्हें सुधारना होगा। उन्होंने कहा कि गरीबी हटाने का एक ही उपाय है कि सभी को नौकरी मिले। इसलिए आप नौकरी लेने नहीं, बल्कि देने वाले बनें। उन्होंने छात्रों को देश को विकास की राह पर पहुंचाने वाला शिल्पकार बताया। उन्होंने कहा, विकसित देश फ्रांस में डिस्कशन होता है, डिबेट होती है, फिर एक्शन होता है। यहां डिस्कशन व डिबेट तो होती है लेकिन एक्शन नहीं होता। उन्होंने कहा कि भारत के लिए पांच साल का नहीं, बल्कि सिंगापुर की तरह 50 साल का विकास रोडमैप तैयार करना चाहिए। तभी समस्या दूर होगी और विकास होगा।

शिक्षा तभी सार्थक, जब सिविक सेंस नजर आए

नारायणमूर्ति ने कहा कि शिक्षा तभी सार्थक है जब सिविक सेंस नजर आए। आईआईटी से पढ़ाई कर ली, डिग्री ले ली, अच्छी नौकरी पा ली और कमरों की सफाई करने के बाद कूड़ा घर के बाहर फेंकते हैं तो शिक्षा व्यर्थ है। पढ़ाई आपके व्यवहार व दिनचर्या में झलकनी चाहिए। ईमानदार और अच्छा इंसान बनने के साथ देश के विकास में योगदान दें। सफलता के लिए अनुशासन जरूरी है। उन्होंने कहा कि मेरे समाजशास्त्री दोस्त कहते हैं कि हजारों साल तक भारतीयों पर दूसरों ने राज किया है। इसलिए अब भी लगता है कि घर के बाहर होने वाले कार्यों की जिम्मेदारी सरकार की है। इस मानसिकता से उबरना होगा।



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