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कौन हैं प्रदीप रावत
भारतीय विदेश सेवा (आईएफएस) के 1990 बैच के अधिकारी रावत पहले नीदरलैंड में भारत के राजदूत थे। रावत की नियुक्ति ऐसे वक्त में हुई है जब दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध बना हुआ है। दोनों देशों ने इस मुद्दे को हल करने के लिए सैन्य स्तर की 18 चरण की वार्ता की है। इससे पहले, अपने राजनयिक करियर में रावत ने हांगकांग और बीजिंग में काम किया है। रावत सितंबर 2017 से दिसंबर 2020 तक इंडोनेशिया तथा तिमोर-लेस्ते में भारत के राजदूत रहे। वह मंदारिन भाषा धाराप्रवाह बोलते हैं।
जिनपिंग ने किया स्वागत
राजदूतों का स्वागत करते हुए अपने भाषण में राष्ट्रपति शी ने कहा कि चीन समानता तथा परस्पर लाभ के आधार पर अन्य देशों के लोगों के साथ आपसी लाभकारी सहयोग बढ़ाने तथा मित्रता मजबूत करने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि ऐसी उम्मीद की जाती है कि राजदूतों को चीन की व्यापक और गहरायी से समझ होगी और वे मित्रता के दूत तथा सहयोग के पुल के तौर पर काम करेंगे। शी ने कहा कि चीन सरकार राजदूतों को उनके कर्तव्यों के निर्वहन के लिए सहयोग तथा सुविधा मुहैया कराएगी।
कोविड-19 की लड़ाई में मदद का वादा
उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में चीन ने लोगों तथा जिंदगियों को अहमियत देकर कोविड-19 महामारी से लड़ने में लंबा सफर तय किया है। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया में चीन को कई देशों तथा लोगों से मदद मिली है। राष्ट्रपति ने कहा कि चीन ने कोविड-19 के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में पूर्ण सहयोग देने के लिए ठोस कदम उठाए हैं, सभी के लिए स्वास्थ्य का वैश्विक समुदाय बनाने की दूरदृष्टि को साकार करने के लिए अन्य देशों के साथ काम किया और परस्पर सहायता का संबंध मजबूत किया है।
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