[ad_1]
बाजवा की सीक्रेट मीटिंग
पाकिस्तान के मीडिया सूत्रों के मुताबिक बाजवा और फैज हामिद ने एक मीटिंग की थी जिसमें पाक आर्मी के दूसरे अधिकारी भी शामिल थे। इस मीटिंग में अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी भी शामिल थे। बाजवा और हामिद को उम्मीद थी कि हक्कानी, भारत और अफगानिस्तान के साथ रिश्ते बेहतर करने में पाकिस्तान की मदद कर सकते हैं।
इस मीटिंग में कोई नतीजा नहीं निकल सका था लेकिन इसकी वजह से राजनीतिक भूचाल आ गया था। एक पूर्व मंत्री ने बाजवा पर तख्तापलट की कोशिशों का आरोप लगाया था। शीरीन माजरी का दावा है कि बाजवा ने हक्कानी को कई तरह से पेमेंट की ताकि इमरान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को कमजोर किया जा सके। माजरी ने जो कुछ कहा उसके सुबूत यूएस फॉरेन एजेंट्स रजिस्ट्रेशन एक्ट (FARA) के तहत दायर किए गए डॉक्यूमेंट्स में मौजूद हैं।
तो क्या सच थी इमरान की बात
इस डॉक्यूमेंट के मुताबिक अमेरिकी इंटेलीजेंस एजेंसी CIA के पाकिस्तान में तैनात ऑफिसर रॉबर्ट ग्रेनियर ने दो बार हक्कानी को अच्छी खासी पेमेंट भी की और वह भी डॉलर्स में। हक्कानी को पाकिस्तान की सेना ने देशद्रोही घोषित किया हुआ है। इस रकम के बदले हक्कानी से सीआईए ने रिसर्च करने के लिए कहा था। इन पेमेंट्स की जानकारी सामने आने के बाद पीटीआई के दावों को हवा मिलने लगी है। इसमें यह कहा गया था कि अप्रैल में इमरान की सरकार को गिराने के लिए विदेशी ताकतों के साथ मिलकर साजिश की गई थी।
किसने की थीं पेमेंट्स
इमरान आज भी कहते हैं कि उनकी सरकार के गिरने के पीछे अमेरिका का हाथ था। फारा के रेकॉर्ड्स पर अगर यकीन करें तो ग्रेनियर को इमरान खान के करीबी ने हायर किया था। लेकिन इस बात की कोई जानकारी नहीं मिली है कि किसने यह पेमेंट्स की थीं। हुसैन हक्कानी ने इन सभी बातों से इनकार कर दिया है। साल 2011 में हक्कानी अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत थे। उनसे जबरन इस्तीफा ले लिया गया था। उन पर आरोप लगा था कि वह देश की सेना में असैन्य नियंत्रण की साजिशों को अंजाम देने में लगे हैं।
[ad_2]
Source link