Indian Railways Hydrogen trains: भारत में भी जल्द हाइड्रोजन ट्रेनें चलने वाली हैं। चीन और जर्मनी की तर्ज पर भारतीय रेलवे भी हाइड्रोजन ट्रेनों को चलाने जा रहा है। इसकी शुरुआत हेरिटेज लाइन से की जाएगी। भारतीय रेलवे के अनुसार, 2023 की दूसरी छमाही में शुरुआत हो जाएगी। मालूम हो कि हाल ही में चीन ने भी अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन को लॉन्च किया है। केंद्र सरकार ने भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन के इस्तेमाल पर अपने विजन की जानकारी दी। सरकार भारत को दुनिया के लिए ग्रीन हाइड्रोजन और इसकी प्रौद्योगिकी के लिए वैश्विक केंद्र बनाना चाहती है।
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि ट्रेनें चीन और जर्मनी की तर्ज पर होंगी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर रेलवे नॉर्थन रेलवे वर्कशॉप में हाइड्रोजन फ्यूल बेस्ड ट्रेन का प्रोटोटाइप तैयार कर रहा है। इसका परीक्षण हरियाणा के सोनीपत-जींद खंड पर किया जाएगा। वैष्णव ने कहा, “हम दिसंबर 2023 से हेरिटेज रूट्स पर हाइड्रोजन ट्रेन शुरू करेंगे। इसका मतलब यह होगा कि ये हेरिटेज रूट पूरी तरह से ग्रीन हो जाएंगे।”
जर्मनी की कोराडिया आईलिंट हाइड्रोजन ईंधन द्वारा संचालित दुनिया की पहली यात्री ट्रेन है। यह शून्य-उत्सर्जन ट्रेन कम स्तर के शोर का उत्सर्जन करती है। यह ट्रेन एक बार में 140 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से 1000 किमी तक दौड़ सकती है। इस ट्रेन का परीक्षण 2018 से जर्मनी में किया जा रहा था। चीन ने भी हाल ही में अर्बन रेलवे के लिए एशिया की पहली हाइड्रोजन से चलने वाली ट्रेन शुरू की है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसे सिंगल टैंक पर 600 किमी की रेंज मिलती है, जिसकी टॉप स्पीड 160 किमी प्रति घंटा है। वहीं, रेल मंत्रालय ने कहा है कि हाइड्रोजन से चलने वाली इन ट्रेनों को आठ हेरिटेज रूट्स पर चलाया जाएगा।
इन रूट्स पर चलेंगी हाइड्रोजन ट्रेन
-माथेरान हिल रेलवे, जिसकी लंबाई 19.97 किलोमीटर है।
– दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे जिसकी लंबाई 88.6 किलोमीटर है।
– कालका-शिमला रेलवे जिसकी लंबाई 96.5 किलोमीटर है।
– कांगड़ा घाटी रेलवे जिसकी लंबाई 164 किलोमीटर है।
– बिलमोरा वाघई रूट जिसकी लंबाई 62.7 किलोमीटर है।
– महू पातालपानी रूट जिसकी लंबाई 58 किलोमीटर है।
– नीलगिरि पर्वत की जड़ जिसकी लंबाई 46 किलोमीटर है।
– मारवाड़ देवगढ़ मड़रिया रूट जिसकी लंबाई 52 किलोमीटर है।