ट्रेन का टिकट कैंसिल करना एक शख्स को भारी पड़ गया और उसे 4 लाख रुपये का नुकसान उठाना पड़ा। दरअसल, कोझिकोड वंडीपेट्टा के एम. मोहम्मद बशीर नाम के 78 वर्षीय शख्स ने IRCTC website के जरिए अपना ट्रेन टिकट कैंसिल करने का प्रयास किया। हालांकि, वह एक घोटाले का शिकार हो गए और उन्होंने 4 लाख रुपये खो दिए। इस घोटाले में एक फर्जी वेबसाइट और खुद को रेलवे कर्मचारी बताने वाला एक व्यक्ति शामिल था। आपके साथ ऐसी घटना न हो इसलिए पढ़िए की बशीर ने क्या गलती कर दी थी, जो आपको नहीं करनी है।
हैकर्स ने बशीर को ऐसे अपने जाल में फंसाया
मथुरभूमि न्यूज ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि, जब बशीर ने अपना टिकट कैंसिल करने का प्रयास किया, तो ऐसा करने के लिए वो एक फर्जी वेबसाइट पर पहुंच गए। तभी खुद को रेलवे कर्मचारी बताने वाले एक व्यक्ति ने फोन पर उनसे संपर्क किया। इस व्यक्ति ने अंग्रेजी और हिंदी दोनों में बात कर बशीर को आपने झांसे में ले लिया और बशीर को कुछ निर्देश दिए। निर्देशों के अनुसार बशीर को गूगल पर कुछ चीजें टाइप करने के लिए कहा गया था। इन स्टेप्स को फॉलो करने के बाद, उनकी स्क्रीन पर एक नीला निशान दिखाई देने लगा और उनके डिवाइस का कंट्रोल जालसाजों के पास चला गया। इसके अलावा, बशीर ने निर्देशानुसार अपनी बैंक अकाउंट डिटेल और एटीएम कार्ड नंबर भी बता दिया।
बशीर की स्क्रीन पर नीले निशान दिखाई देने से यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि जरूर उनके डिवाइस पर किसी मैलवेयर का इंस्टॉलेशन किया गया होगा। स्कैमर्स आमतौर पर पीड़ित के डिवाइस का कंट्रोल पाने के लिए अलग-अलग प्रकार के मैलवेयर इंस्टॉल करते हैं। ऐसा ही एक प्रकार रिमोट एक्सेस ट्रोजन (आरएटी) है, जो हैकर्स को पीड़ित के डिवाइस में दूर बैठे हेरफेर करने की अनुमति देता है।
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इस तरह से बैक किया डिवाइस!
यह भी संभव है कि घोटालेबाज ने बशीर के डिवाइस तक पूरी पहुंच हासिल करने के लिए RAT का उपयोग किया हो। एक अन्य टूल कीलॉगर्स भी हो सकता था, जो पीड़ित के डिवाइस पर किए गए हर कीस्ट्रोक को रिकॉर्ड करता है। इसका मतलब यह है कि संवेदनशील जानकारी, जैसे पासवर्ड और बैंकिंग क्रेडेंशियल, घोटालेबाज द्वारा कीलॉगर का उपयोग करके हासिल की जा सकती थी। इसके अलावा, यह भी हो सकता है कि घोटालेबाज ने स्पाइवेयर का उपयोग किया हो, एक प्रकार का मैलवेयर जिसे पीड़ित की एक्टिविटी पर चुरी छिपे से नजर रखने और उनकी जानकारी के बिना डेटा इकट्ठा करने के लिए डिजाइन किया गया है। इससे घोटालेबाज को बशीर की एक्विविटी पर नजर रखने और संवेदनशील डेटा को चोरी छिपे इकट्ठा करने में मदद मिल सकती थी।
बशीर को घोटाले का एहसास तब हुआ जब उन्हें एक मैसेज मिला जिसमें बताया गया कि उनके सेविंग अकाउंट से पैसे निकाल लिए गए हैं। हड़बड़ी में वह अपने बैंक की वाईएमसीए शाखा में गए। हालांकि, तब तक उनके फिक्स डिपॉजिट से 4 लाख रुपये भी निकाले जा चुके थे।
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बशीर को ऐसे लगी घोटाले की खबर
घोटालेबाजों ने तीन अलग-अलग फोन नंबरों का उपयोग करके बार-बार बशीर से संपर्क किया। पहली रकम लेने के बाद उन्होंने बैंक से संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन घोटालेबाजों ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। बशीर ने आगे डेटा ब्रीच को रोकने के लिए अपने फोन को फॉर्मेट कर दिया और घटना की सूचना बैंक और पुलिस की साइबर सेल को दी।
Rest Desk से हासिल किया डिवाइस का कंट्रोल
पुलिस की साइबर सेल की जांच से पता चला कि ‘रेस्ट डेस्क (Rest Desk)’ नाम का ऐप डाउनलोड करने से स्कैमर्स को बशीर के फोन का एक्सेस मिला। पैसा चार अलग-अलग निकासी में लिया गया, जिसमें कोलकाता से 4,05,919 रुपये डेबिट किए गए। पुलिस को संदेह है कि बशीर से संपर्क करने के लिए इस्तेमाल किए गए फोन नंबर बंगाल और बिहार के लोगों से जुड़े हैं।
(कवर फोटो क्रेडिट-informalnewz)