नई दिल्ली. जम्मू-कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ सेना का ऑपरेशन ऑल आउट लगातार जारी है, जिसमें कई आतंकियों को ढेर भी किया जा चुका है. यहां सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मारे गए ज्यादातर आतंकी कश्मीर से हैं और पाकिस्तानी आतंकियों की तादाद कम है. इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है ISI का प्लान ऑफ़ एक्शन और अब ISI ने नया G-20 प्लान शुरू किया है.
सूत्रों के मुताबिक, ISI ने हाल ही में कश्मीर घाटी में सालों से छिपे लोकल आतंकियों को एक्टिव कर दिया है और उन्हें पाकिस्तानी आतंकियों द्वारा अंजाम दिए गए वारदातों की जिम्मेदारी लेने को कहा है. आईएसआई के इसी प्लान के मुताबिक अब घाटी में ट्रेंड आतंकियों की घुसपैठ की कोशिश कराई जा रही है.
ISI ने अंडरग्राउंड आतंकियों को किया एक्टिव
हाल ही में पुंछ में हुए हमलों में शामिल आतंकी भी पूरी तरह से ट्रेंड थे. खुफिया सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान ने इस तरह के ऑपरेशन के लिए G-20 प्लान को एक्टिव कर दिया है. इसके तहत ISI ने अपने उन आतंकियों को एक्टिवेट किया है, जो कि सालों से घाटी में छिपे बैठे थे. इसके साथ ही ये अंडरग्राउंड आतंकी हथियार की कमी से जूझ रहे अपने साथियों को सालों से छिपाए गए हथियार भी मुहैया कराने की कोशिश में हैं.
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जानकारों की मानें तो जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी आतंकियों की संख्या हर वक्त 60 से 70 के बीच होती है. आईएसआई इनका बड़े ही हिसाब से इस्तेमाल करता है. खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, 11 से 12 आतंकियों के दो ग्रुप का जमावड़ा गुरेज के दूसरी ओर सोनार और सरदारी लॉन्च पैड पर मौजूद है. तो वहीं 13 से 14 आतंकियों के 3 ग्रुप मच्छिल के दूसरी ओर कासिम पोस्ट और शारदी लॉन्च पैड पर देखे गए हैं. इसके अलावा 5 आतंकी अख्तक़ाम इलाके में मौजूद हैं. ये तीनों इलाके नॉर्थ कश्मीर के हैं, जहां बर्फ पिघलने के साथ ही घुसपैठ की कोशिशें बढ़ने की आशंका है.
क्या होता है टेरर लॉन्च पैड?
विभिन्न आतंकी संगठनों से जुड़े आतंकियों को भारत से सटी नियंत्रण रेखा (LoC) के पास लॉन्च पैड पर देखा गया है. ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर लॉन्च पैड क्या और कैसा होता है? दरअसल लॉन्च पैड कोई खास इलाक़ा नहीं, बल्कि LoC के पास 500 से 700 मीटर के दायरे में स्थित कोई भी घर हो सकता है, जिसे आतंकियों को LoC पार कराने के पहले उनके ठिकाने के लिए चुना जाता है.
अगर हम आतंकियों की ट्रेनिंग शेड्यूल की बात करें तो सूत्रों के मुताबिक़ घुसपैठ से पहले तीन-तीन महीने की ट्रेनिंग दी जाती है और ट्रेनिंग ख़त्म होते ही सीधा पाकिस्तानी सेना के पोस्ट पर भेज दिया जाता है, जहां से भारतीय सीमा के अंदर उनकी घुसपैठ करानी होती है. आतंकियों की ट्रेनिंग भी दो अलग-अलग तरह की होती है. जिन आतंकियों को फ़िदायीन बनाकर भेजना होता है उनकी ट्रेनिंग अलग होती है, यानी कि वो वापस न लौटने के लिए भेजे जाते हैं.
फिदायीन हमले के विस्फोटकों को ऑपरेट करना, बाधाओं को पार करना, फायरिंग और लंबे समय तक बिना खाए पीये रहकर जंगल वॉरफेयर में माहिर किया जाता है. इन फिदायीन आतंकियों को खुद पाकिस्तानी सेना और SSG कमॉडों ट्रेनिंग देते हैं. वहीं इसके अलावा अन्य वारदातों के लिए भेजे जाने वाले आतंकियों को अलग ट्रेनिंग दी जाती है.
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Tags: Isi, Jammu kashmir, Terrorism
FIRST PUBLISHED : May 16, 2023, 19:38 IST